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लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने रजत जयंती समारोह के बहाने विभिन्न दलों (जनता परिवार) के नेताओं को एक मंच पर लाने के सपा के प्रयास को 'नाटक' करार देते हुए शनिवार को कहा कि सपा से तालमेल का मतलब सीधे भाजपा को मदद करना है। इसलिए बाकी दल इसे लेकर सचेत रहें। मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'सपा की भाजपा से अंदरूनी मिलीभगत है, इसलिए सपा भी भाजपा की तरह अलग-थलग पड़ गई है। ऐसे में सपा से तालमेल का मतलब है, सीधे भाजपा को मदद करना।अन्य दल इससे सचेत रहें।' उन्होंने बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन बनाने और सपा के उससे अलग होने का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि वर्तमान सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में गुंडे, बदमाशों, भ्रष्ट लोगों, लूट खसोट करने वालों और अराजक तत्वों की फौज खड़ी कर सांप्रदायिकता और जंगलराज कायम नहीं किया होता और जातिवाद एवं क्षेत्रवाद से उपर उठकर ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ की तर्ज पर सरकार चलाई होती तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बेलगाम आपराधिक तत्वों का सहारा लेकर विकास यात्रा नहीं करनी पड़ती। मायावती ने कहा, '...तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी की रजत जयंती के मौके पर दूसरी पार्टी के नेताओं को लखनऊ बुलाकर धर्मनिरपेक्ष होने का नाटक नहीं करना पड़ता।'

अगले विधानसभा चुनाव में किसी अन्य दल से बसपा के चुनावी तालमेल से साफ इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि महागठबंधन की पहल करके सपा ने चुनाव से पहले ही एक तरह से हार स्वीकार कर ली है। मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने वादों का एक-तिहाई भी काम किया होता तो विफलताओं से जनता का ध्यान बंटाने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले परिवर्तन यात्रा की जरूरत नहीं पड़ती। सपा के रजत जयंती समारोह का उपहास करते हुए उन्होंने कहा कि सत्ताधारी सपा की रजत जयंती घोर संकीर्ण, परिवारवादी मानसिकता के साथ ही आम जनता को गुमराह करने के लिए केवल हौवा खड़ा करने का हवा-हवाई प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस समय आपसी स्वार्थ में सपा बंट गई है, जिससे उसका जनाधार बंटेगा. सपा को किसी के समर्थन का साफ मतलब है भाजपा को मजबूत करना। वैसे भी सपा अधिकांश ऐसे दलों से महागठबंधन की बात कर रही है, जिनका उत्तर प्रदेश में अत्यंत सीमित प्रभाव है। महागठबंधन की कोशिश बताती है कि सपा ने विधानसभा चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली है। समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया पर लगे एक दिन के प्रतिबंध को मायावती ने निंदनीय बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार अपनी कमियों और विफलताओं को छिपाने तथा भ्रष्टाचारियों को बचाने के प्रयास में देश के मीडिया और लोकतंत्र का गला घोंटना चाहती है, जिसे देश के लोग बर्दाश्त करने वाले नहीं हैं।

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