लखनऊ: अखिलेश यादव की बहुचर्चित रथयात्रा गुरुवार को निकलेगी जो पहले दिन लखनऊ से उन्नाव तक 75 किलोमीटर का सफर तय करेगी। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस रथयात्रा की पूरी कमान समाजवादी पार्टी से बर्खास्त किए गए अखिलेश यादव के दोस्तों के हाथ है। पिछले दिनों शिवपाल यादव ने एमएलसी सुनील साजन, संजय लाठर, आनंद भदौरिया और पार्टी के चारों यूथ विंग के अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया था। इन्हीं सातों बर्खास्त नेताओं को रथयात्रा की पूरी तैयारी का ज़िमा सौंपा गया है । समाजवादी पार्टी से बर्खास्त युवा एमएलसी सुनील साजन के घर अखिलेश के युवा रथयात्रा के लिए चोला बदल रहे हैं। आम लिबास की जगह लाल टी-शर्ट और लाल टोपी है। टी-शर्ट के बाजू पर अखिलेश भैया की तस्वीर है। ऐसी 25 हजार टी-शर्ट और सुनील साजन ने बंटवाई हैं। सुनील अपनी बर्खास्तगी को भूल के दिन-रात इसकी तैयारी में लगे हैं। सुनील ने पत्रकारों से कहा, "हम लोग समाजवादी हैं. दिल से. दिमाग से. जो अंदर है, सोशलिज्म है. जो नेता के लिए काम करने का जज्बा है. क्योंकि मैं फिर कहूंगा कि जब मकसद बड़ा हो, लक्ष्य बड़ा हो तो ये सब चीजें छोटी हैं। हम लोग कल बड़े मकसद के लिए चल रहे हैं। 2017 में सरकार बनाने के लिए चल रहे हैं और नेता को आगे ले जाने के लिए चल रहे हैं। पार्टी को आगे ले जाने के लिए चल रहे हैं। " अखिलेश यादव ने अपने युवा साथियों के लिए समाजवादी पार्टी दफ्तर के पास एक और दफ्तर खोल दिया है।
ये है जनेश्वर मिश्र के नाम पर बने ट्रस्ट का ऑफिस। रथयात्रा की सारी रणनीति यहीं बनती है। आज भी जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के दफ्तर के लॉन में बर्खास्त नेता और उनके साथियों की भीड़ थी। एमएलसी संजय लाठर और एमएलसी आनंद भदौरिया भी पिछले दिनों बर्खास्त किए गए थे। रथयात्रा में आनंद भदौरिया सीतापुर और लखीमपुर और संजय लाठर लखनऊ जिले के इंचार्ज हैं। संजय लाठर कहते हैं, "ये रथयात्रा जेपी के आंदोलन के बाद एक तरह का आंदोलन है। कल आप देखोगे कि लखनऊ की सड़कों पर आदमी ही आदमी नजर आएंगे। नौजवान ही नौजवान नजर आएगा। अगर तिल डाला जाएगा तो किसी के सिर पे गिरेगा, जमीन पर नहीं। " रथयात्रा के लिए लखनऊ से उन्नाव तक जबर्दस्त सजावट की गई है। अखिलेश यादव के बंगले और समाजवादी पार्टी दफ्तर को जाने वाली हर सड़क पर मीलों तक होर्डिंग नजर आ रहे हैं। तमाम बड़े चौराहे होर्डिंग के गोलचक्कर में कैद हैं। और अब तो शिवपाल कि तरफ से भी सैकड़ों ऐसे होर्डिंग लग गए हैं, जिसमें अखिलेश को फिर से ताज पहनाने के नारे दिए गए हैं। शिवपाल यादव ने अखिलेश की पिछली रथयात्रा के लिए उन्होंने आशीर्वाद दिया था और रास्ते के खर्च के लिए 5 लाख रुपये भी दिए थे। शिवपाल इस बार अखिलेश से खफा हैं, लेकिन उन्होंने कहा, "हमारी शुभकामनाएं हैं कल का भी कार्यक्रम सफल हो और हमारा भी कार्यक्रम सफल हो । हमारी शुभकामनाएं हैं"। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कहा था कि दीपावली के अलावा हमारे दो त्योहार और भी हैं। एक 3 नवंबर की रथयात्रा और दूसरा 5 नवंबर का सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन। लेकिन यह त्योहार से ज्यादा पार्टी का इम्तिहान भी है। अगर रथयात्रा में पूरा परिवार शामिल होता है तो ये इस बात का संकेत होगा कि चुनाव में पार्टी एकजुट रहेगी।