नई दिल्ली: केरल में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ जीका वायरस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। लगातार जीका वायरस मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसे महामारी नहीं मान सकते हैं लेकिन इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। इसलिए न सिर्फ हर मामले की निगरानी जरूरी है बल्कि जीनोम सीक्वेंसिंग के स्तर पर भी तेजी से काम करना होगा ताकि कोरोना के अलग-अलग म्यूटेशन और जीका वायरस की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
कोरोना के साथ-साथ तेजी से बढ़ा है जीका वायरस
नई दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. नरेश गुप्ता का मानना है कि जीका वायरस की जांच प्रयोगशाला में होनी चाहिए। इस वायरस को लेकर भी चिंतित होने की जरूरत है। यह एक ऐसा वायरस है जो मच्छर के काटने से फैलता है और यह स्थानीय लोगों में बड़ी आसानी से फैल सकता है।
इसलिए अगर किसी प्रदेश या स्थान में जीका के मामले सामने आ रहे हैं तो उन राज्यों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीका वायरस सिर्फ केरल या दक्षिणी राज्यों के लिए ही चिंता का विषय नहीं है बल्कि यह पूरे देश के लिए चुनौती है क्योंकि मच्छर जनित रोगों से सिर्फ एक नहीं बल्कि सभी राज्य प्रभावित हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया से संबंधित मामले हर साल देखने को मिलते हैं और इनकी वजह से मरीजों की मौतें भी काफी होती हैं।
केवल केरल में ही अब तक 28 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं। जीका वायरस ज्यादातर एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है, जो डेंगू, चिकनगुनिया और पीले बुखार को फैलाता है।
जबकि डॉ. गुप्ता ने प्रकोप की स्थानीय प्रकृति का हवाला देते हुए कहा कि वेक्टर जनित बीमारी कोविड-19 की तुलना में ज्यादा चिंता का विषय है। कई अन्य मेडिकल विशेषज्ञों ने यह कहते हुए चिंता को कम कर दिया है कि इसे प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपायों से रोका जा सकता है।
नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि जीका वायरस को लेकर अब समय जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर देने का है। संक्रमण के फैलने को लेकर मच्छरों की भूमिका का पता लगाना बहुत जरूरी है।
वैज्ञानिक स्तर पर इसके अध्ययन होने चाहिए। अनुवांशिक महामारी को समझने के लिए सीक्वेंसिंग बहुत जरूरी है। हालांकि भारत के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। कोविड-19 की वजह से मौजूदा सभी संसाधन व्यस्त हैं। ऐसे में राज्य सरकारों को ही जल्द से जल्द इस पर काम तेज करना चाहिए।