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तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें सूचित किए बिना संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का राज्य सरकार का कदम 'अनुचित' है। खान ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले सूचित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, 'विधानसभा के नियमों के अनुसार भी विधायिका को ऐसे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए जो उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यदि वे सुप्रीम कोर्ट जाते हैं। पर मुझे लगता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख को सूचित किए बिना उन्होंने जो किया, वह ठीक नहीं है।

राज्यपाल ने कहा, 'तब भी, मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता। मुझे सुप्रीम कोर्ट जाने के उनके फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती क्योंकि संविधान न्यायालय को अधिकार देता है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था।' उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है उसमें मैं भी शामिल हूं। मुझे नहीं पता कि राज्य विधानसभा संसद द्वारा पारित कानून पर कैसे सवाल उठा सकती है।

कानून के शासन का सम्मान करना हर किसी के लिए बाध्यकारी है। मैं रबर स्टांप नहीं हूं। केरल सरकार ने 13 जनवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके कहा था कि सीएए संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है।

सीएए को चुनौती मिल रही है क्योंकि वह संवैधानिक शुचिता के खिलाफ है: विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि राज्य, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इसलिए गया क्योंकि यह संवैधानिक शुचिता के खिलाफ है। संविधान के दायरे में रहते हुए यह हस्तक्षेप किए जाने का दावा करते हुए विजयन ने कहा कि संविधान और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में राज्य सबसे आगे रहेगा। मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि राज्य सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून, 2019 के खिलाफ याचिका दी है, जोकि संविधान की शुचिता के खिला है। उन्होंने लिखा है कि यह संविधान के भीतर रहते हुए नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए हमारी ओर से हस्तक्षेप किया गया है।

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