नई दिल्ली/चेन्नई: संसद के बजट के दूसरे चरण की आज से शुरुआत हो गई है। पहले ही दिन सदन में भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने कई मु्द्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा। लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधा और राज्य सरकार को बेईमान तक बता दिया।
'वे अहंकारी राजा की तरह बोल रहे हैं': सीएम स्टालिन
उनके इस बयान के बाद लोकसभा में जमकर हंगामा देखने को मिला। डीएमके के सदस्यों ने लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री की इस टिप्पणी की जमकर आलोचना की और विरोध प्रदर्शन किया। धर्मेंद्र प्रधान की इस टिप्पणी के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी प्रमुख एमके स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर निशाना साधा। सीएम स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री के बयान की आलोचना की और कहा कि वह एक अहंकारी राजा की तरह बोल रहे हैं और जिसने तमिलनाडु के लोगों का अनादर किया है, उनको अनुशासित किए जाने की आवश्यकता है।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जो खुद को अहंकार से बोलने वाला राजा समझते हैं, उन्हें अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा था?
दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान आरोप लगाया कि डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने शुरू में राज्य में पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना को लागू करने पर सहमति जताई थी, लेकिन बाद में अपने वादे से मुकर गई। डीएमके ने केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण संसद के निचले सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि वे (डीएमके) बेईमान हैं। वे तमिलनाडु के छात्रों के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। वे तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। उनका एकमात्र काम भाषाई अवरोध पैदा करना है। वे राजनीति कर रहे हैं। वे शरारत कर रहे हैं। वे अलोकतांत्रिक और असभ्य हैं।
स्टालिन ने केंद्र पर लगाए कई आरोप
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र ने तमिलनाडु को फंड न देकर धोखा दिया है और तमिलनाडु के सांसदों को असभ्य कहा है। वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान ने यह कहकर झूठ बोला कि डीएमके सरकार ने (एनईपी पर हस्ताक्षर करने के लिए) सहमति दे दी है।
उन्होंने कहा कि डीएमके ने कभी भी एनईपी या तीन-भाषा नीति पर सहमति नहीं जताई, हमने बस इतना कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते। तमिलनाडु में हमारे छात्रों को तीन भाषाएँ क्यों सीखनी चाहिए जबकि उत्तर भारत के छात्र केवल एक भाषा सीखते हैं,हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, अगर कोई छात्र हिंदी सीखना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन यह अनिवार्य नहीं होना चाहिए।