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कोयंबटूर: तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई ने आरटीआई के जरिए प्राप्त जवाहरलाल नेहरू युग की आधिकारिक फाइल नोटिंग्स का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि देश के पहले पीएम नेहरू श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप देने के इच्छुक थे, जिसके बाद श्रीलंका ने भारत की संप्रभुता का समर्थन किया था।

आज भी यह डील रहस्य बनी हुई है: अन्नामलाई

अन्नामलाई ने कहा कि कच्चातिवु द्वीप को सौंपना एक गुप्त डील थी। इसे किसने दिया और किन परिस्थितियों में दिया गया, वो आज भी रहस्य है। तब से लेकर आज तक यह मुद्दा तमिलनाडु में गूंज रहा है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि नेहरू ने इस मुद्दे को एक छोटी सी बात बताया था। यहां तक कि पूर्व पीएम नेहरू को पड़ोसी देश को इस द्वीप को देने में कोई झिझक भी नहीं थी।

इससे जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक डोमेन में नहीं: अन्नामलाई

कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि इस मुद्दे पर बहुत बहस हुई। संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं थे और सभी जुड़ी जानकारी बहुत लंबे समय तक वर्गीकृत रही।

उन्होंने कहा कि 1974 में द्वीप के बंटवारे ने तमिलनाडु के मछुआरों को गंभीर रूप से प्रभावित किया और इससे मछुआरों की परेशानियों पर राजनीति भी हुई। इसलिए अन्नामलाई ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रालय से आरटीआई का उपयोग करके जानकारी मांगी।

डीएमके ने दिया मुद्दे पर राज्य को धोखा: अन्नामलाई

उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय कांग्रेस पार्टी ने साजिश रची थी और कच्चातिवु को सौंप दिया था। 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके श्रीलंकाई समकक्ष डुडले सेनानायके के बीच एक गुप्त समझौते के आरोपों के बाद संसद में बहस हुई थी, जिसमें कच्चातिवु को द्वीप राष्ट्र को सौंपने की परिकल्पना की गई थी। अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि करुणानिधि ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु को धोखा दिया है।

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