नई दिल्ली: बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी इकाइयों से और अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार अपेक्षाकृत छोटे हवाईअड्डों के प्रबंधन का ठेका उन्हें देने देने पर विचार कर रही है और साथ ही रेलवे जल्दी ही 400 स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए बोली आमंत्रित करेगी। यह बात आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही। उन्होंने कहा, कुछ मध्यम एवं छोटे हवाईअड्डों के प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी देने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य है कि उनकी प्रबंधन क्षमता बढ़ायी जा सके। इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फिनांस कंपनी (आईआईएफसीएल) के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) की स्थापना की है और वह भागीदारी के लिए वैश्विक सावरेन एवं पेंशन कोष के संपर्क में हैं।
जेटली ने कहा कि रेलवे ने बांड जारी कर धन जुटाये हैं। वे अंतरराष्ट्रीय निवेश भी आकर्षित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, रेलवे दिशा के लिहाज से अब सही लाइन पर है। हम बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विदेशी निवेश समेत निजी क्षेत्र को आमंत्रित कर रहे हैं यह बहुत जल्द होगा। रेलवे देश के 400 स्टेशनों के विकास के लिए निविदाएं आमंत्रित करने का प्रस्ताव लाने जा रही है। हवाईअड्डों के बारे में जेटली ने कहा कि नागर विमानन मंत्रालय मध्यम एवं लघु स्तर के हवाई अड्डों को सुधारने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा, उन्हें शायद प्रबंधकार्य में दक्षता की जरूरत है, इसलिए इन कुछ हवाईअड्डों के प्रबंधकार्य में निजी भागीदारी का प्रस्ताव है। जिस पर वे विचार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सरकार इस संबंध में बिल्कुल स्पष्ट है कि किस दिशा में वह बढ़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक व्यय बढाने पर जोर देती रहेगी। वित्त मंत्री ने कहा, पिछले साल सार्वजनिक निवेश बढ़ाया गया और यह बढ़या जाता रहेगा क्यों कि जब आपके सामने वैश्विक नरमी का संकट होता है तो सार्वजनिक निवेश को आगे आ कर रास्ता दिखाना होता है। जेटली ने कहा कि मंत्रालय बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय सरकारी निवेश कोषों और पेंशन कोषों के साथ संपर्क में है ताकि वे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एनआईआईएफ में भागीदार बन सकें। उन्होंने कहा,आने वाले समय में जिस क्षेत्र में हम गंभीरता से निवेश करेंगे, वह है - बुनियादी ढांचा। जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था का सवाल है, हम इसे एक स्थायित्व वाली शक्ति बनने के हम और अधिक उत्साहजनक परिणाम प्रस्तुत कर सकेंगे। यूं भी पूरी दुनिया में संकट जैसी परिस्थिति में हमारे यहां स्थायित्व बना हुआ है। जेटली ने कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव ने चुनौती पेश की है और यह भारत पर निर्भर है कि वह उन चुनौतियों का बेहतरीन उपयोग कैसे करता है। उन्होंने कहा, विश्व बड़े उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। यह दौर आसान नहीं है। इसलिए वैश्विक अर्थव्यवस्था से जो रझान मिलेंगे वे चुनौतीपूर्ण होंगे। तेल, जिंस और खनिज मूल्य में नरमी विश्व के अनेक देशों के लिए कठिनायी पैदा करने वाली है लेकिन भारत के लिए यह एक मौका है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि कच्चे तेल में नरमी से जो अवसर पैदा हुए हैं, उससे सरकार को बुनियादी ढांचा के मुख्य क्षेत्रों में अपनी बचत का बड़ा हिस्सा लगाने में मदद मिली। पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग, ग्रामीण सड़क और रेल में काफी संसाधन लगाए हैं। उन्होंने कहा, इसका नतीजा अब नजर आने लगा है कि राजमार्गों से जुड़ी परियोजनाएं आगे बढ़ीं। अपेक्षाकृत अधिक सार्वजनिक निवेश के मद्देनजर जो निजी क्षेत्र की इकायां विवादों के कारण हताश थीं, उन्होंने फिर से इस क्षेत्र में प्रवेश करना शुरू कर दिया है।