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गुवाहाटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (मंगलवार) को असम में चुनावी बिगुल फूंक दिया है। मोदी दो दिन के पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर हैं। कोकराझार में मोदी ने कहा कि मैं आपके सपनों को सच करने आया हूं। दरअसल, चुनाव से पहले भाजपा को राज्य में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) का साथ मिला है। प्रधानमंत्री ने चुनावी भाषण में कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, इस दिल में आप ही समा गए हैं, इसलिए ये दिल भी खुल चुका और हाथ भी खुल चुके हैं। मोदी ने कहा कि 12 साल से जो वादे आपसे किए गए उन वादों का भी निपटारा नहीं हुआ। उन्होने कहा कि वे 15 साल में कुछ नहीं कर पाए, मुझसे चाहते हैं कि 15 महीने में सब कर दूं। उन्होने कहा कि यहीं से मनमोहन सिंह जी को चुनकर भेजा, फिर भी कामों की इतनी लंबी लिस्ट बाकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के बदलने के लिए मेरा तीन सूत्री कार्यक्रम है।

सारी समस्याओं का समाधान विकास ही है। विकास करना है तो इंफ्रास्ट्रकचर पर ध्यान जरूरी,हमारी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाई है। 

भाषण के मुख्य अंश-

-इसके तहत नॉर्थ ईस्ट को विकास की मुख्यधारा में लाना है -आजादी के 70 साल होने को हैं, लेकिन देश के 18 हजार गांवों में बिजली का खंभा भी नहीं है -अब हर दिन का हिसाब वेबसाइट पर दिया जाता है -2022 तक 24 घंटे बिजली देने का सपना -2022 तक हर परिवार को घर देने का वादा -जनधन योजना के तहत 20 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए, इसके तहत 30 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा किए - यहां के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए, इसके लिए काम कर रहे हैं -आपके आशीर्वाद से मुझे काम करने की ताकत मिलती है -यहां की समस्याओं के समाधान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

असम में भाजपा हुई है मजबूत

126 सीटों वाली विधानसभा में बीपीएफ के 12 और भाजपा के 5 विधायक हैं। हाल के दिनों में असम में भाजपा मज़बूत हुई है और इस बार चुनाव में पार्टी कोई कसर बाक़ी नहीं रखना चाहती। यही वजह है कि हाल के दिनों में कई केंद्रीय मंत्रियों ने असम का दौरा किया है। 

भाजपा का मिशन असम

भाजपा असम चुनावों से पहले यहां अपना पहला गठबंधन कर सकती है। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ इस गठबंधन का ऐलान प्रधानमंत्री के असम दौरे में हो सकता है। प्रधानमंत्री बोडो लोगों के लिए एक विशेष पैकेज का ऐलान भी कर सकते हैं।... राहत शिविर के लोगों को प्रधानमंत्री का इंतजार कोकराझार से 45 किलोमीटर दूर सापकाटा के इस राहत शिविर में रह रहे आदिवासियों को प्रधानमंत्री के दौरे का बेताबी से इंतज़ार है। जातीय हिंसा के बाद बेघर हुए इन लोगों के पास जीवन की बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। पूरे कोकराझार में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं, जिन्हें शिकायत है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए।

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