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हैदराबाद: प्रवर्तन निदेशालय ने वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी और उनकी पत्नी वाई.एस. भारती रेड्डी की धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में 749.10 करोड़ रूपये की संपत्ति को जब्त कर लिया है। सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र के आधार पर एजेंसी ने जांच शुरू की जिसमें आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन ने अन्य के साथ आपराधिक षड्यंत्र कर मेसर्स भारती सीमेंट कॉरपोरेशन प्राईवेट लिमिटेड के नाम पर खनन लीज आवंटित करा लिया। भारती इस कंपनी की अध्यक्ष हैं। ईडी ने यहां बयान जारी कर कहा कि जगन को विभिन्न लोगों और कंपनियों से अपने समूह की कंपनियों में निवेश के नाम पर काफी रिश्वत मिली जो आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा उन्हें नाहक फायदा पहुंचाने के बदले में मिली थी। जगन और अन्य के खिलाफ ईडी के हैदराबाद क्षेत्रीय कार्यालय ने धनशोधन निवारक अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत धनशोधन का मामला दर्ज किया था। ईडी ने कहा कि पीएमएल के तहत इसकी जांच से पता चला है कि जगन ने अपने समूह की कंपनियों के माध्यम से अपराध को अंजाम दिया जिसमें मेसर्स संदूर पावर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स क्लासिक रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स सिलिकॉन बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और दस अन्य समूहों के नाम शामिल हैं जो निवेश, चल अचल संपत्ति की खरीद और थर्ड पार्टी पेमेंट जैसे व्यवसाय में हैं।

इसने कहा कि इसके अलावा मेसर्स भारती सीमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को तत्कालीन आंध्रप्रदेश सरकार ने कडप्पा जिले में अवैध रूप से जो खदान आवंटित की थी उससे उसे चूनापत्थर के रूप में लाभ प्राप्त हुए जो अपराध के तहत आता है। उस समय चूनापत्थर की कीमत 152 करोड़ रूपये से ज्यादा थी। ईडी के संयुक्त निदेशक (हैदराबाद जोन) एस.ए. उमाशंकर गौड़ ने कहा, ‘पीएमएलए के तहत जांच के दौरान धनशोधन के तहत चल संपत्ति के रूप में इस अपराध में 404 करोड़ 72 लाख 32 हजार 182 रूपये और अचल संपत्ति के रूप में 344 करोड़ 38 लाख दस हजार 378 रूपये के घपले का पता लगाया जो कुल 749.10 करोड़ रूपये होता है।’ जब्त संपत्ति तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक तक फैली हुई है। पहले भी एजेंसी ने जगन और अन्य की कई सौ करोड़ रूपये की संपत्ति को जब्त किया था। सीबीआई ने जगन और अन्य के खिलाफ 11 आरोप पत्र दायर किए थे जो विभिन्न निजी कंपनियों और लोगों के कथित निवेश से जुड़े हुए थे और उनके व्यवसाय में यह कई करोड़ का मामला था। एजेंसी ने कहा कि पूर्ववर्ती राजशेखर रेड्डी सरकार द्वारा कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के बदले दी गयी रिश्वत के रूप में यह धन था।

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