नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): आंध्र प्रदेश ने माना है कि प्राथमिक जांच में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन की कमी से वेंटीलेटर वाले मरीजों की मौत हुई। केंद्र सरकार ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में एक आतारांकित प्रश्न के जवाब में यह उत्तर दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने मंगलवार (10 अगस्त) को सदन को बताया कि आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार के 9 अगस्त के पत्र के मुताबिक, 10 मई 2021 को श्री वेंकटेश्वर रामनारायण रुइया (एसवीआरआर) अस्पताल में इलाजरत कुछ कोविड मरीज़ जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, जिनकी मौत हो गई थी। लिखित जवाब में कहा गया है कि इस घटना की प्रारंभिक जांच के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि 10केएल ऑक्सीजन टैंक के समतलीकरण और अस्पताल के बैकअप मैनिफोल्ड सिस्टम को चालू करने के बीच के अंतराल में ऑक्सीजन सप्लाई के प्रेशर में कमी आई और उसकी वजह से यह हादसा हुआ।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, लेकिन कोविड-19 महामारी से निपटने और मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचा को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने राज्यों को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान की है और राज्यों को रसद और वित्तीय सहायता के माध्यम से समर्थन भी दिया है।
चार पन्नों के लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने गैर-कोविड रोगियों के साथ-साथ क्रॉस संक्रमण के जोखिम को कम करने के इरादे से देश में गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए देश में त्रि-स्तरीय समर्पित कोविड-19 स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था लागू किया है। इसके तहत (i) कोविड केयर सेंटर (सीसीसी); (ii) समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (डीसीएचसी) और (iii) समर्पित कोविड अस्पताल (डीसीएच) बनाए गए हैं।
बता दें कि 10 मई, 2021 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के श्री वेंकटेश्वर रामनारायण रुइया सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 23 मरीजों की मौत हो गई थी।