नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित ने सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ न्यायपालिका पर आरोप लगाने के मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।
न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि, 'मेरे लिए मुश्किल है। वकील के तौर पर मैंने एक पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था। मैं इसे उस पीठ के समय सूचीबद्ध करने के लिए आदेश पारित करुंगा जिसमें मैं नहीं रहूं।' न्यायमूर्ति ललित, न्यायमूर्ति विनीत सरण और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की पीठ को सोमवार को तीन याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी।
इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि रेड्डी ने न केवल न्यायपालिका के खिलाफ आरोप लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा, बल्कि एक संवाददाता सम्मेलन करके झूठे बयान भी दिए।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छह अक्टूबर को अभूतपूर्व तरीके से प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उनकी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को 'अस्थिर करने और गिराने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का इस्तेमाल किया जा रहा है।'
तीन अलग-अलग याचिकाएं वकील जीएस मणि, वकील सुनील कुमार सिंह तथा 'एंटी-करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट' की ओर से दायर की गई हैं।