लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत मिलने के बाद विधायक दल तय करेगा कि कौन मुख्यमंत्री होगा। यह बात उन्होंने एक सवाल के जवाब में कही। उनसे पूछा गया था कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में क्या अखिलेश यादव मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे? उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह पार्टी का संसदीय दल और हम तय करेंगे। मुलायम सिंह शुक्रवार को सपा मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में मेरे नाम पर वोट मांगे गए थे। मेरे नाम पर वोट मिले भी। बहुमत मिलने के बाद सपा विधानमंडल दल और पार्टी की राय थी कि मैं मुख्यमंत्री बनूं लेकिन मैं तीन बार मुख्यमंत्री, एक बार रक्षा मंत्री बनकर थक गया था। फाइलें देखते-देखते कलम घिस्सू बन गया था। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं स्वतंत्र होकर पार्टी के लिए काम करूं। तब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। किसी ने सोचा था कि अखिलेश मुख्यमंत्री बनेंगे। यादव ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मेरे परिवार में सब ठीक है। मेरे परिवार में तीन पीढ़ियों से न कोई विवाद रहा, न है और न होगा। उन्होंने बगल में बैठे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये बैठे हैं। परिवार के ही तो बैठे हैं।
यह विचित्र सवाल है। परिवार के बीच कुछ नहीं है, परिवार को छोड़कर सवाल पूछो। पांच नवंबर को पार्टी का रजत जयंती समारोहसपा मुखिया ने बताया कि सपा की स्थापना के 25 साल पांच नवंबर को पूरे हो रहे हैं। पार्टी ने इस मौके पर रजत जयंती समारोह के आयोजन का फैसला किया है। यह समारोह पांच नवंबर को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में होगा। जिसमें देशभर के कार्यकर्ता, नेता, प्रदेश के मंत्री और विधायक भाग लेंगे। यह बड़ा आयोजन होगा, जिसके संयोजक परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति बनाए गए हैं। उन्होंने इसमें पार्टी के सभी नेता, कार्यकर्ताओं, मंत्रियों और विधायकों से भाग लेने और सहयोग करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि पार्टी ने 25 साल में चार बार सरकार बनाई है। वे रक्षा मंत्री भी बने। कोई अपना नाम खुद रखता है क्या? मुलायम सिंह यादव से जब यह पूछा गया कि अखिलेश यादव ने कहा है कि मैंने तो अपना नाम भी खुद ही रखा था। इस सवाल के जवाब में मुलायम थोड़ी देर रुके। इस पर शिवपाल ने जवाब दिया कि कोई अपना नाम खुद रखता है क्या? फिर मुलायम बोले नाम का क्या है ? हमारे परिवार में धर्मेंद्र ने भी खुद ही अपना नाम धर्मेंद्र रख लिया था। मुलायम सिंह से जब यह पूछा गया कि अखिलेश के यह कहने के पीछे कहीं यह मंतव्य तो नहीं कि आप उनके लिए समय नहीं दे पाते थे। उन्होंने कहा कि हम राजनीति में थे। व्यस्तता स्वाभाविक है। अखिलेश की मां बहुत सीधी थीं और बीमार रहती थीं। इसलिए अखिलेश का लालन-पालन पहले बहन ने और बाद में शिवपाल ने किया। इसीलिए अखिलेश बहन को बहुत मानता है लेकिन मैंने उसकी पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया। पहले ग्वालियर में दाखिला कराया। वहां मन नहीं लगा तो धौलपुर में पढ़ाया। जहां-जहां पढ़ना चाहा वहां पूरा सहयोग किया। मुलायम सिंह ने कहा कि उन्होंने केंद्र में भी सरकार बनवाने में भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री के लिए ज्योति बसु का नाम आगे बढ़ाया। ज्योति बसु ने मना कर दिया। उन्होंने मेरा नाम ले लिया लेकिन उस समय लालू यादव ने विरोध कर दिया। जिससे वे प्रधानमंत्री नहीं बन सके। पर, अब वे अपने रिश्तेदार हैं, इसलिए अब उनके बारे में कुछ नहीं कहेंगे। फिर मैंने ही देवेगोड़ा को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया। देवेगोड़ा ने सोचा भी नहीं होगा कि वे प्रधानमंत्री बन जाएंगे।