लखनऊ: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी भी समाजवादी हो गए। अगला विधानसभा चुनाव वो समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे। मुख्तार के बड़े भाई और कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने शनिवार को मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी दफ्तर पर ये ऐलान किया। यादव परिवार में कौमी एकता दज के विलय के खिलाफ मतभेद हैं।अखिलेश इसके खिलाफ हैं जबकि मुलायम और शिवपाल इसके हिमायती। पिछली बार जून में जब कौमी एकता दल का सपा में विलय हुआ था तब विवादों से बचने के लिए कहा गया था कि इस विलय में मुख्तार शामिल नहीं हैं। लेकिन अब तक इस पर इतने विवाद हो चुके हैं कि पार्टी कुछ और विवादों के लिए भी तैयार दिखती है। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने शनिवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी दफ्तर में मुलायम और शिवपाल से चली लंबी बैठक के बाद मीडिया से कहा, 'मुख्तार अंसारी विधायक हैं। फिर आगे भी चुनाव लड़ेंगे, फिर विधायक बनेंगे। समाजवादी पार्टी उन्हें चुनाव चिन्ह देगी और वो चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी में मुख्तार की पार्टी के विलय के पैरोकार मानते हैं कि पूर्वांचल में गाजीपुर, बलिया, मऊ और वाराणसी में करीब 20 विधानसभा सीटों पर मुख्तार और उनके खानदान का कुछ ना कुछ असर है। मायावती के 100 टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दे देने से समाजवादी पार्टी पर दबाव है। ऐसे में वो इसके बदले कुछ बदनामी मोल लेने को तैयार है।
मुलायम अब मुख्तार के इलाके में रैली भी करेंगे। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी ने कहा, 'नवंबर में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में मुलायम सिंह यादव माननीय नेता जी की एक रैली होगी और हमलोग एक समाजवादी पार्टी के सिपाही की हैसियत से कार्य शुरू कर चुके हैं। यादव परिवार में एक तरफ अखिलेश यादव हैं जो एक साफ छवि के साथ चुनाव में जाना चाहते हैं। दूसरी तरफ उनका परिवार है जिसे लगता है कि इस चुनाव में एक-एक वोट की लड़ाई है। लिहाजा जंग और चुनाव में सब कुछ जायज है। यादव परिवार के इस विरोधाभास में देखना है कि पलड़ा किसका भारी होता है।