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वाराणसी: जलवायु परिवर्तन, उर्जा संकट और घातक बीमारियों जैसी वैश्विक समस्याओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय छात्रों से कहा कि वे ‘‘कट-पेस्ट’’ की जगह नवोन्मेष और अनुसंधान के जरिए इन समस्याओं के समाधान की चुनौती को स्वीकार करें । प्रधानमंत्री ने सोमवार को वाराणसी में छात्रों के समूह से आह्वान किया कि दुनिया को कुछ देने के लिए नए सिरे से प्रयास करें, आविष्कार को अंजाम दें, महज कट-पेस्ट से काम नहीं चलेगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आज (सोमवार) काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शताब्दी दीक्षांत समारोह में शिरकत करने पहुंचे। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीएचयू में पढ़ाई करना बड़ी बात है। हमें बीएचयू की परंपरा पर गर्व होना चाहिए। यहां पढ़ना गर्व की बात है। हमें अपनी परंपरा पर गौरव करना चाहिए। दीक्षांत समारोह में मौजूद छात्रों का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा कि बीएचयू के छात्र दुनिया को कुछ नया दें। आज नए आविष्कार की जरूरत है। सोलर इनर्जी सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं। आदिवासियों के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए सिकल सेल बीमारी से निजात पाने के लिए दवा बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि छात्रों में संकट झेलने का सामर्थ्य होना चाहिए। शिक्षा का कभी अंत नहीं होना चाहिए।

गौरतलब है कि बनारस हिंदू विवि के 100 साल पूरे हो गए। पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में बीएचयू की स्थापना की थी। मोदी ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय दूरदर्शी थे। महामना राष्ट्र निर्माण के लिए खड़े रहे। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार रात अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी से ही सांसद हैं। प्रधानमंत्री ने यहां 15वीं सदी के दलित कवि श्री रविदास के जयंती समारोहों में हिस्सा लिया। कोलकाता में गौडिया मठ के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के बाद मोदी वाराणसी पहुंचे। हवाई अड्डे पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव एवं दूसरे भाजपा नेताओं ने उनकी अगवानी की। प्रधानमंत्री सुबह में रविदास मंदिर का दौरा किया। इस आध्यात्मिक मंदिर का दलितों के दिल में विशेष स्थान है। इससे पहले विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित करने की इच्छा जताई। बहरहाल मोदी ने इस पेशकश को ठुकरा दिया जिन्होंने कहा कि ‘इस तरह की डिग्री हासिल करने की उनकी कोई नीति नहीं है।

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