देहरादून (जनादेश ब्यूरो): मॉनसून के मौसम में मूसलाधार बारिश कई राज्यों में तबाही लेकर आई है। उत्तराखंड में हो रही मूसलाधार बारिश से भारी नुकसान हो रहा है और केदारनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को भी काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। यहां फंसे श्रद्धालुओं को प्रशासन की और से निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है।
केदारनाथ में आई आपदा के बाद से तीसरे दिन भी रेस्क्यू अभियान जारी है। आज सुबह 6 बजे से शुरू हुए रेस्क्यू अभियान में लिनचोली से लगभग 150 लोगों को हेली के माध्यम से शेरसी हेलीपैड भिजवाया गया। जिला प्रशासन की टीम के साथ एसडीआरएफ की टीम लगातार सर्च अभियान चला रही है। बड़ी लिनचोली से लेकर छोटी लिनचोली तक मलबे में शवों की खोज की जा रही है।
पत्थरों में मिला दबा हुआ शव
रेस्क्यू स्थल थारू कैंप के पास बड़े-बड़े पत्थरों में दबे एक शव को निकाला गया है। जिसके पास से दो मोबाइल व अन्य सामग्री प्राप्त हुई है। शव की पहचान शुभम कश्यप निवासी सहारनपुर के रूप में हुई है।
शव व प्राप्त सामग्री को चौकी लिनचोली के सुपुर्द किया गया है। रेस्क्यू टीम द्वारा मिसिंग की तलाश को लेकर थारू कैंप, छोटी लिनचोली में सर्चिंग की जा रही है। सर्चिंग के दौरान थारू कैंप में एक मोबाइल प्राप्त हुआ, जिसे चौकी लिनचोली के सुपुर्द कर दिया गया है।
त्रिजुगीनारायण से 3 से 4 किलोमीटर ऊपर की ओर तोसी गांव में 8 से 10 यात्रियों के फंसे होने की सूचना पर एसआई जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में एसडीआरएफ की एक रेस्क्यू टीम मौके के लिए रवाना हुई है।
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने बताया कि केदारनाथ में बुधवार रात को हुई भारी बारिश के कारण कई रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए। विभिन्न जगहों पर फंसे तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस समेत अन्य सुरक्षा बल लगातार कार्य में जुटे हैं। हर स्तर पर सभी लोगों के सुरक्षित रेस्क्यू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए वायु सेना के चिनूक और एमआई 17 विमान से भी यात्रियों को एयर लिफ्ट किया गया। वहीं, मैनुअल रेस्क्यू भी लगातार जारी है।
मोबाइल नेटवर्क ठप
मोबाइल नेटवर्क पूरे तौर पर दो दिनों से ठप है। नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या के कारण करीब 150 यात्रियों को परिजनों से संपर्क करने में समस्या हो रही है। विभिन्न जगहों पर रुके यात्रियों के लिए प्रशासन के स्तर से पर्याप्त भोजन, पानी और आवासीय व्यवस्था भी की गई हैं। 18 किलोमीटर का पैदल रास्ता करीब 13 जगह से टूटा गया है। ऐसे में चौमासी के वैकल्पिक रास्ते से रेस्क्यू किया जा रहा है।
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