नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केरल में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सौर ऊर्जा को काफी महत्व देता है। मोदी ने कहा कि कठिन परिश्रम करने वाले हमारे किसानों को जल्द से जल्द सोलर सेक्टर से जोड़ने के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर 'अन्नदाता' 'ऊर्जादाता' भी बन जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की भूमिका को लेकर कहा, 'भारत सौर ऊर्जा को बहुत महत्व दे रहा है। सौर ऊर्जा में हमारे लाभ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग और हमारे उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत लड़ाई सुनिश्चित करते हैं।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब नीली अर्थव्यवस्था में निवेश कर रहा है। हम अपने मछुआरों के प्रयासों का महत्व जानते हैं। मछुआरा समुदाय के लिए हमारे प्रयासों में अधिक क्रेडिट, तकनीकी, सर्वश्रेष्ठ बुनियादी ढांचा और सहयोग करने वाली सरकारी नीतियां शामिल हैं। मछुआरे भी अब किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विकास और अच्छा शासन जाति, पंथ, रंग, लिंग, धर्म या भाषा नहीं देखता। विकास सबके लिए होता है। यह 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' की मूल भावना है। विकास ही हमारा लक्ष्य और धर्म है। मैं केरल की जनता से समर्थन मांगता हूं जिससे हम विकास और एकजुटता के साझा स्वप्न को साकार कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में पिछले छह सालों में 13 गुना वृद्धि हुई है। ज्ञात हो कि केरल में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से भारत विश्व को एक मंच पर ले आया।
उन्होंने कहा, ‘सौर ऊर्जा को भारत बहुत महत्व दे रहा है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी उपलब्धि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मजबूत लड़ाई सुनिश्चित करती है। इससे हमारे उद्यमियों को भी बल मिलता है। अन्नदाताओं को ऊर्जादाता बनाने के लिए किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में काम चल रहा है।’ शहरों को विकास का इंजन और नवोन्मेष का पावर हाउस बताते हुए मोदी ने कहा कि शहरों में कई स्तर पर बदलाव दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि शहरी अधोसंरचना को सुधारने वाला अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) से शहरों में सीवरेज सुविधाएं और जल संबंधी अवसंरचना को बढ़ावा देने में मदद मिली है। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया उनमें 320 केवी पुगलुर (तमिलनाडु) - त्रिशूर (केरल) बिजली संचरण परियोजना, 50 मेगावाट कासरगोड सौर ऊर्जा परियोजना और अरुविकारा में बने 75 एमएलडी (दस लाख लीटर प्रतिदिन) का जल प्रशोधन संयंत्र शामिल है।
इसके साथ ही उन्होंने तिरुवनंतपुरम में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र तथा तिरुवनंतपुरम में ही स्मार्ट सड़क परियोजना की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनारई विजयन के साथ-साथ केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह और आवास व शहरी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी उपस्थित थे।
पुगलुर-त्रिशूर पावर ट्रांसमिशन परियोजना एवं गलुर-त्रिशूर बिजली संचरण परियोजना एक वोल्टेज सोर्स कन्वर्टर (वीएससी) आधारित हाई वोल्टेड डायरेक्ट करेंट (एचवीडीसी) परियोजना है और इसमें भारत का पहला एचवीडीसी लिंक है जिसमें अत्याधुनिक वीएससी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। लगभग 5070 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, यह परियोजना पश्चिमी क्षेत्र से 2000 मेगावाट बिजली भेजने की सुविधा प्रदान करेगा और केरल के लोगों के लिए लोड में वृद्धि को पूरा करने में मदद करेगी।
कासरगोड सौर ऊर्जा परियोजना को राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत विकसित किया गया है। कासरगोड जिले के पिवलीक, मींजा और चिप्पर गांवों में 250 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली इस परियोजना का निर्माण केंद्र सरकार के करीब 280 करोड़ रुपये की मदद से किया गया है।