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तिरुवनंतपुरम: केरल के सबरीमाला मंदिर में 50 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। शनिवार तड़के कुछ अज्ञात लोगों ने भाजपा सांसद के पैतृक मकान पर बम फेंक दिया। साथ ही कन्नूर स्थित संघ के कार्यालय को आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि हिंसा की इन घटनाओं से कुछ ही घंटे पहले अज्ञात लोगों ने माकपा विधायक एएन शमशीर और पार्टी के कन्नूर जिला के पूर्व सचिव पी शशि के घरों पर देशी बम फेंके थे। जिससे इमारत को काफी नुकसान पहुंचा है।

भाजपा से राज्यसभा सदस्य वी मुरलीधरण ने बताया कि हमले के वक्त मेरी बहन, जीजा और उनकी बेटी घर में मौजूद थे। हालांकि, इसमें कोई हताहत नहीं हुआ है। माकपा ने अपने नेताओं के घरों पर हुए हमलों के लिए संघ के स्वयंसेवकों को, जबकि भाजपा ने माकपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया है। कन्नूर के अलावा कोझिकोड के पेराम्बरा, मल्लपुरम और पथनमथिट्टा के अडूर में भी शुक्रवार की रात एवं शनिवार तड़के इस तरह के कई हमले एवं तोड़फोड़ हुई। सुप्रीम कोर्ट ने करीब तीन महीने पहले मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी।

भाजपा और हिंदू संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

37,979 आरोपी बनाए गए, 3178 गिरफ्तार

केरल पुलिस ने ऑपरेशन ब्रोकन विंडो के तहत हिंसा करने वाले 3178 लोगों को अबतक देशभर से गिरफ्तार किया है। साथ ही 37,979 लोगों पर 1286 केस दर्ज किए जा चुके हैं।

गृह मंत्री ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी

केरल में व्यापक तौर पर हुई हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल सरकार से स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि हिंसा को जल्द काबू में करने की जरूरत है। वहीं कन्नूर एवं अन्य स्थानों पर जारी हिंसा को देखते हए राज्य पुलिस प्रमुख लोकनाथ बहेरा ने राज्य भर में अलर्ट जारी किया है और पार्टी नेताओं के घरों पर हमले के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जांच की मांग मुरलीधरण ने माओवादियों से संपर्क रखने वाली दो महिलाओं को पुलिस सुरक्षा में सबरीमला मंदिर पहुंचाए जाने के षड्यंत्र की एनआईए से जांच कराने की मांग की है। पिछले साल सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से पहली बार बुधवार को मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

केरल के मंत्री ने मुख्य पुजारी को ब्रह्मराक्षस कहा

सबरीमाला मंदिर में 50 वर्ष की दो महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर के शुद्धिकरण को लेकर केरल के एक वरिष्ठ मंत्री ने शनिवार को मंदिर के मुख्य पुजारी पर निशाना साधते हुए उन्हें ब्रह्मराक्षस कहा है। केरल के पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सुधाकरन ने पूछा कि क्या एक बहन के साथ अपवित्र की तरह बर्ताव करने वाले को मनुष्य समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुजारी दानव का एक प्रतीक है। वह एक ब्रह्ममण नहीं है। वह ब्रह्मराक्षस है। अगर कोई ब्राह्मण राक्षस बन जाए तो वह खतरनाक बन जाएगा।

केरल सरकार ने हिंसा भड़काई: भाजपा

भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि केरल में सबरीमला मंदिर के आस-पास हिंसा राज्य की एलडीएफ सरकार ने भड़काई। उसने कहा कि मामले से संवेदनशील तरीके से निपटने की जगह राज्य सरकार ने स्थिति और बिगाड़ दी, नतीजतन कई श्रद्धालु घायल हो गए और कई लोगों की मौत हुई। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि सबरीमला मुद्दा हिंदुओं के बारे में है, ना कि सत्तारूढ़ पार्टी के बारे में। उन्होंने कहा कि यह सबकुछ माकपा के गुंडों ने राज्य सरकार की पूरी शह और समर्थन से किया है। आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा भड़काने का माकपा का इतिहास रहा है। लेकिन आज वो श्रद्धालुओं तक को नहीं बख्श रहे हैं। राव ने कहा कि यह श्रद्धालुओं का मुद्दा है, ना कि भाजपा का मुद्दा है। यह हिंदू समाज से जुड़ा मुद्दा है।

बिंदु और कनकदुर्गा ने कहा, हमें किसी से डर नहीं

अयप्पा मंदिर में पूजा अर्चना करने वाली बिंदु अम्मिनि और कनकदुर्गा ने एक मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि मंदिर में जाने के बाद से हमें धमकियां मिल रही हैं, लेकिन हम डरती नहीं हैं। 39 वर्षीय कनकदुर्गा ने कहा कि भविष्य के लिए मुझे किसी तरह का डर नहीं है। मैं भगवान को मानती हूं। वहीं बिंदु ने कहा कि मुझे अपनी सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई डर नहीं है। इस वक्त दोनों महिला सुरक्षित ठिकाने पर हैं।

सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए: यूएन

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गौर करते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि वैश्विक निकाय सभी को विधि के शासन का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता नेकहा कि जैसा कि आप जानते हैं, यह ऐसा मुद्दा है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है। इसलिए हम इस मामले को भारत के विधि अधिकारियों पर छोड़ते हैं। निश्चित तौर पर हम चाहते हैं कि सभी पक्ष विधि के शासन का सम्मान करें।

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