सबरीमाला: भगवान अयप्पा के मंदिर तक पहुंचने के लिए सबरीमाला पहाड़ी की चढ़ाई करने की कोशिश करने वाली दो महिलाओं को श्रद्धालुओं के विरोध के कारण दर्शन किए बिना ही लौटना पड़ा। मल्लपुरम की रहने वाली बिंदु और कन्नूर निवासी कनकदुर्गा नामक महिलाएं सुबह करीब चार बजे पंबा पहुंची थीं। इन दोनों महिलाओं को सन्निधानम (मंदिर परिसर) से एक किलोमीटर पहले अप्पाचीमेदु और मराकूटम में श्रद्धालुओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। अयप्पा के भजन गाते और नारे लगाते हुए एक हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने मानव दीवार बनाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
पुलिस की सुरक्षा में आगे बढ़ रही महिलाओं के साथ करीब एक घंटे तक उनकी नोंकझोंक चली। पुलिस ने ‘वापस जाओ’ चिल्ला रहे और अयप्पा मंत्रोच्चारण कर रहे श्रद्धालुओं को हटाने की कोशिश की, लेकिन वे किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। अशांत श्रद्धालुओं के कारण माहौल तनावपूर्ण हो गया।
छोटे बच्चों समेत प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और स्थिति अनियंत्रित हो जाने के भय से पुलिस ने महिलाओं को लौट जाने की सलाह दी। इन महिलाओं को इससे पहले श्रद्धालुओं ने सबरीमाला के रास्ते में पड़ने वाले अप्पाचीमेदु में भी रोक दिया था।
कनकदुर्गा के बेहोश हो जाने की खबरों के बीच बिंदु ने संवाददाताओं को बताया कि उनको रोकने के लिए झूठ बोला गया और उनके साथ कुछ भी ऐसा नहीं हुआ। बिंदु ने आरोप लगाया कि पुलिस ने जबरन उन्हें मंदिर जाने से रोका। महिला ने कहा कि उन्होंने पुलिस की सुरक्षा नहीं मांगी थी लेकिन सुरक्षा मुहैया कराना उनकी जिम्मेदारी है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से अब तक मंदिर में 10-50 आयु वर्ग की कोई भी महिला प्रवेश नहीं कर पाई है। इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पारंपरिक रूप से रोक लगी हुई थी। सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देने वाले 28 सितंबर के फैसले को लेकर केरल में श्रद्धालुओं एवं भाजपा ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है।
11 महिलाओं ने प्रवेश की कोशिश की थी
इसके एक दिन पहले रविवार को भी चेन्नई के संगठन मानिथि की 11 महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर पहुंचने की कोशिश की थी। इन्हें भी भारी विरोध के बाद पुलिस ने रोक दिया था। वार्षिक तीर्थयात्रा का पहला चरण 27 दिसंबर को खत्म होने वाला है।