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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर लेने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख पहले भी सख्त रहा है। इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर के अंदर ना जाना संविधान के खिलाफ है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिनतोन फाली निरमन, एम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी।

दीपक मिश्रा ने महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने का समर्थन करते हुए कहा था कि किस आधार पर मंदिर महिलाओं की एंट्री पर बैन लगा रहा है। चीफ जस्टिस ने कहा के मंदिर एक सावज़्जनिक संपत्ति है जहां कोई भी आ सकता है, अगर यहां किसी को भी आने की अनुमति है तो फिर महिलाओं को क्यों नहीं? संविधान में पुरुषों और महिलाओं को बराबरी का दजाज़् दिया गया है, ऐसे में मंदिर के अंदर महिलाओं को प्रवेश ना करने देना संविधान के खिलाफ है।

बता दें, महिलाओं की एंट्री को लेकर बीते दिनों केरल सरकार ने भी विरोध किया था। केरल के मंत्री कड़कमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा था सबरीमाला मंदिर का प्रशासन त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीपी) के हाथ में है और इसकी परंपराएं और नियम हर किसी पर लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का मामला उच्चतम न्यायालय में पहले से चल रहा है। न्यायालय के फैसले से पहले परंपराओं और रीति रिवाजों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

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