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चेन्नई: तमिलनाडु के मदुरै में पदस्थ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी को कथित तौर पर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह अधिकारी डिंडीगुल जिले में एक सरकारी डॉक्टर से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रहा था। पुलिस के अनुसार ईडी अधिकारी की पहचान अंकित तिवारी के रूप में हुई है। उसने इस मामले को छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।

इस कार्रवाई को लेकर सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीएवीसी) की ओर से जल्द ही बयान आने की संभावना है। हालांकि, डीवीएसी सूत्रों ने बताया कि अंकित तिवारी एक तेज रफ्तार कार में था और उसको पीछा करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने तिवारी को रंगेहाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया था। स्टेट हाईवे पर एक ड्रॉप-ऑफ पॉइंट पर उसने कथित रूप से रिश्वत के पहले हिस्से के रूप में 20 लाख रुपये लिए। इसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। यह पहली बार है जब तमिलनाडु में किसी ईडी अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है।

मद्रास हाईकोर्ट में राज्य बनाम ईडी

अंकित तिवारी की गिरफ्तारी तब हुई है जब राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसी पांच जिला कलेक्टरों को समन जारी करने को लेकर आमने-सामने हैं। यह मामला अवैध रेत खनन से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़ा हुआ है।

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के प्रशासन को राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने इस सप्ताह समन पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी। हालांकि मामले की जांच पर रोक नहीं लगी है।

अरियालुर, वेल्लोर, तंजावुर, करूर और तिरुचिरापल्ली जिलों से तलब किए गए कलेक्टरों और राज्य सरकार को ईडी को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।

हालांकि, तमिलनाडु ने तर्क दिया था कि ईडी के पास ऐसी मांग करने का अधिकार नहीं है और पांच कलेक्टरों को ईडी का समन संघवाद की भावना के खिलाफ है।

यह भी तर्क दिया गया कि केंद्रीय एजेंसी को इस तरह के ब्यौरे, यदि जरूरी हों तो केवल राज्य सरकार के जरिए मांगना चाहिए। ईडी राज्य सरकार की सहमति के बिना जांच नहीं कर सकती है।

आईआईटी के एक विशेषज्ञ के सर्वे का हवाला देते हुए ईडी ने दावा किया है कि दो साल में पूरे तमिलनाडु में 4500 करोड़ रुपये का अवैध रेत खनन हुआ है।

डीएमके के मुखपत्र में ईडी की आलोचना

ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी उस दिन हुई है जब सत्तारूढ़ डीएमके के मुखपत्र 'मुरासोली' ने केंद्र में सत्तासीन बीजेपी पर उसकी छवि खराब करने के लिए एजेंसी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। अखबार ने ईडी के भ्रष्टाचार के दावे पर सवाल उठाया था और कथित "मनमाने" आंकड़े के आधार को चुनौती देते हुए सबूत की मांग की थी।

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