चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने जेल में बंद राज्य के बिजली और आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया है। बताया जाता है कि इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से कोई परामर्श नहीं लिया। राज्यपाल के इस कदम से प्रदेश की द्रमुक सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे गतिरोध को और बढ़ावा मिल सकता है।
राजभवन ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया कि सेंथिल बालाजी "नौकरी के बदले में नकदी लेने और धन शोधन समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।" अभी वह एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, "इन परिस्थितियों के तहत राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया है।"
सूत्रों ने बताया है कि तमिलनाडु सरकार इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रही है।
चेन्नई की एक अदालत ने बुधवार को बालाजी की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी। बालाजी को इस महीने की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय ने 12 जुलाई तक के लिए गिरफ्तार किया था।
इससे कुछ घंटे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाने की अनुमति दी थी, जहां उनकी दिल की सर्जरी हुई थी। इससे पहले बेचैनी और सीने में दर्द की शिकायत के चलते उनका सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा था।
बालाजी और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला 2011-15 के दौरान अन्नाद्रमुक सरकार में राज्य के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल से संबंधित है, जब उन्होंने अपने भाई आर वी अशोक कुमार सहित अपने सहयोगियों के साथ सभी राज्य परिवहन उपक्रमों के प्रबंध निदेशकों और परिवहन निगमों के अन्य अधिकारियों के साथ कथित रूप से आपराधिक साजिश रची थी।
साल 2014-15 के दौरान परिवहन निगम में चालक, परिचालक, जूनियर ट्रेड्समैन, जूनियर इंजीनियर और सहायक इंजीनियर के रूप में भर्ती के लिए अभ्यर्थियों से रिश्वत प्राप्त करने के लिए कथित रूप से साजिश रची गयी थी। ईडी ने आरोप लगाया कि ‘‘पूरी नियुक्ति प्रक्रिया धोखाधड़ी पूर्व और बेईमानी पूर्ण तरीके से की गयी'' और बालाजी के निर्देशानुसार शनमुगम, अशोक कुमार तथा कार्तिकेयन द्वारा उपलब्ध कराई गयी सूची के अनुरूप ही इसे अंजाम दिया गया।
आरोप हैं कि इन चारों ने नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए बालाजी की ओर से उम्मीदवारों से पैसे वसूले। उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि जिन्होंने पैसा दिया था, उन्हें न तो नियुक्ति आदेश जारी किये गये और न ही पैसा वापस मिला जैसा कि बालाजी और तीन अन्य ने वादा किया था।
ईडी ने इन आरोपों की जांच के लिए 2021 में धनशोधन का मामला दर्ज किया था और उसकी शिकायत 2018 में और बाद के सालों में दर्ज तमिलनाडु पुलिस की तीन प्राथमिकियों पर आधारित है। उच्चतम न्यायालय ने गत 16 मई को पुलिस और ईडी को बालाजी के खिलाफ जांच की अनुमति दी थी।