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नई दिल्ली: 65 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खरी-खरी बातें कही हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि वह खुद किसान आंदोलन से उभरे नेता हैं उनकी चिंताओं को समझते हैं। किसी आंदोलन को कुचला नहीं जा सकता, सरकार व आंदोलनकारी दोनों पक्ष जिम्मेदारी के साथ चर्चा करें और जल्दी हल निकालें। मलिक ने सरकार से आग्रह किया कि वह किसानों की चिंताओं को समझे। 

मलिक ने कहा, अधिकतर किसान शांतिपूर्वक ही रहे हैं। मैं उनसे सरकार के साथ बातचीत करने और समाधान निकालने की अपील करता हूं। मैं सावधान करते हुए यह बताना चाहता हूं कि दुनिया के किसी भी आंदोलन को दबाकर और कुचलकर शांत नहीं किया जा सकता है।

बता दें, मलिक उत्तर प्रदेश के बागपत के निवासी हैं। वे अभी मेघालय के राज्यपाल हैं। इससे पहले वे जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार, ओडिशा के भी राज्यपाल रह चुके हैं। वे विधानसभा से  लेकर लोकसभा व राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के नाते वे राज्य में शांति बहाली के लिए काफी सक्रिय रहे। राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के वक्त वे जम्मू-कश्मीर में पदस्थ थे। 

आंदोलन तेज करने में जुटी पंजाब की पंचायतें

उधर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों के बाद पंजाब की पंचायतें भी किसान आंदोलन को तेज करने में जुट गईं हैं। बठिंडा के गांव विर्क खुद के बाद कई और गांवों में पंचायतों ने किसान आंदोलन के समर्थन में प्रस्ताव पास किए हैं। प्रस्ताव में हर घर से लोगों को आंदोलन में जाने का आह्वान किया गया है और जो नहीं जाएगा उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं जुर्माना न देने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। 

 

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