शिलांग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार करार दिया। मोदी शुक्रवार को अपनी सरकार के दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियों एवं नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र के विकास को लेकर मेघालय की राजधानी शिलांग में आयोजित रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार एक्ट-ईस्ट नीति का सक्रियता से पालन कर रही है और क्षेत्र में बुनियादी संरचना में सुधार के लिए काम कर रही है, लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना है। शिलांग में तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के बाद यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी पूर्वोत्तर राज्यों को रेल नेटवर्क से जोड़ने और सड़क, दूरसंचार, बिजली और जलमार्गों में बुनियादी संरचना को उन्नत बनाने की मंशा रखती है ताकि उन्हें विकसित राज्यों की बराबरी पर लाया जा सके। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, मेरी सरकार एक्ट-ईस्ट नीति का सक्रियता से पालन कर रही है। इस नीति के तहत हमारा मिशन इस क्षेत्र में सड़क, रेल, दूरसंचार, बिजली और जलमार्गों में बुनियादी संरचना को उन्नत बनाना है। मोदी ने कहा, मैं पूर्वोत्तर क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार मानता हूं। काफी कुछ किया जा रहा है। काफी कुछ किया जाना है।
उन्होंने कहा कि केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क के विकास के लिए 10,000 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं और रेल मंत्रालय मौजूदा वर्ष में 5,000 करोड़ रूपए से ज्यादा खर्च करने की योजना बना रहा है। क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि बेहतर सड़क संपर्क, होटल और साफ-सफाई में सुधार कर पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पर्यटक सर्किट विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वदेश दर्शन नाम की एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत देश में पर्यटक सर्किट विकसित किए जा रहे हैं और ऐसा एक सर्किट पूर्वोत्तर में प्रस्तावित है। अपनी शिलांग यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने चेरापूंजी स्थित डॉप्लर मौसम रेडार भी राष्ट्र को समर्पित किया। चेरापूंजी में सबसे अधिक बारिश होती है। मोदी ने कहा, चेरापूंजी को एक और गौरव हासिल हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा, सौंदर्य एवं साहस की भूमि पूर्वोत्तर हाल के समय में कई प्राकतिक आपदाओं से प्रभावित रहा है। इस मौसम रेडार प्रणाली से बेहतर पूर्वानुमान किया जा सकेगा, खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में। मौसम की चरम स्थितियों से पैदा होने वाले खतरों को कम करने में भी इससे मदद मिलेगी। इस बीच, पूर्वोत्तर परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने आज संकेत दिए कि इस संस्था को एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के तौर पर विकसित किया जा सकता है ताकि क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाएं पूरी की जा सकें। एनईसी की शुरूआत 1972 में हुई थी, जिसका मकसद देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास से जुड़ी पहलों के लिए एक विशेष मंच प्रदान करना था। परिषद के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, शायद, एनईसी के विन्यास में बदलाव और इसे उन्नत बनाए जाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा, लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यह अहम है कि एनईसी आत्ममंथन करे और यह आकलन करे कि वह अपने उददेश्यों में कितनी सफल रही है। उन्होंने कहा कि इसे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के तौर पर विकसित किए जाने की जरूरत है जिसमें जरूरी संसाधन, ज्ञान एवं कौशल हों।