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शिमला: हिमाचल प्रदेश में तबाही की बारिश ने कई जिंदगियों को अपना निवाला बना लिया है। राजधानी शिमला, कुल्लू और मंडी में बादल फटने से अब तक मरने वालों की संख्या 9 हो चुकी है। जबकि करीब 45 लोग अब भी लापता है। राहत और बचाव दल लगातार लापता लोगों को ढूंढने की कोशिश में लगे हैं। मंडी में राजबन गांव से एक 11 साल की बच्ची का शव बरामद हुआ है। इस घटना में करीब 50 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है।

लापता लोगों की तलाश जारी

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), पुलिस और होमगार्ड की टीम के कुल 410 बचावकर्मी ड्रोन की मदद से खोज अभियान में शामिल हैं। बुधवार रात कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपखंड में बादल फटने से आई बाढ़ में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है।

एनडीआरएफ के कमांडिंग ऑफिसर करम सिंह ने कहा कि संयुक्त बचाव अभियान चल रहा है और लापता लोगों की तलाश के प्रयास जारी हैं। हम मलबे में दबे या फंसे हुए लोगों का पता लगाने के लिए विभिन्न उपकरणों और सेंसर का उपयोग कर रहे हैं। करम की टीम अन्य लोगों के साथ शिमला और कुल्लू जिले की सीमा पर स्थित समेज गांव में लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई है।

लोगों को जीवित बचाने की संभावना कम

सरपारा गांव के प्रधान मोहन लाल कपटिया ने कहा कि हर गुजरते घंटे के साथ लोगों को जीवित बचाने की संभावना कम होती जा रही है, लेकिन हम बस यही उम्मीद करते हैं कि शव जल्द ही बरामद कर लिए जाएं, क्योंकि देर होने पर शव सड़ जाएंगे, जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने शनिवार को कुल्लू जिले के सैंज क्षेत्र का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि कुछ पीड़ित अभी भी राहत राशि का इंतजार कर रहे हैं और उन्होंने प्रशासन से शीघ्र सहायता उपलब्ध कराने को कहा।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को बताया कि कुल्लू में श्रीखंड महादेव के आसपास फंसे करीब 300 लोग सुरक्षित हैं और मलाणा में करीब 25 पर्यटकों की भी स्थानीय लोग अच्छी तरह देखभाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को रामपुर के समेज गांव का दौरा किया था, जहां 30 से अधिक लोग लापता हैं। सुक्खू ने पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की थी और कहा था कि उन्हें अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे, साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाएंगी।

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