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नई दिल्ली: कांग्रेस ने आज कहा कि अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए कैबिनेट की सिफारिश को अगर राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो वह इसे अदालत में चुनौती देगी। पार्टी ने लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि बेहद गलत कदम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संघीयता पर दोमुंहेपन का पर्दाफाश किया है और सरकार को चेतावनी दी कि उसे इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा, मोदी सरकार का अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला संवैधानिक आदेश का मजाक बनाने, संघवाद का दमन और लोकतंत्र को कुचलने को दर्शाता है। उन्होंने कहा, संघवाद के लिए सम्मान और टीम इंडिया में राज्यों के समान भागीदार होने के मोदीजी के दोमुंहेपन का पर्दाफाश होता है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी अदालत का दरवाजा खटखटाएगी और आरोप लगाया कि मोदी राजनैतिक असहिष्णुता की जड़ हैं। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, हम इसे चुनौती देंगे- सुप्रीम कोर्ट जिस मामले पर सुनवाई कर रहा है उसे बाईपास करना राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख हैं और वह अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे और उचित फैसला करेंगे। उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी अदालत में कांग्रेस नीत अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने कहा, सरकार ने बेहद गलत कदम उठाया है। इससे गलत कदम संभवत: और कुछ नहीं हो सकता है। राज्यपाल ने खुद को शर्मसार किया था और अब सरकार खुद को शर्मसार कर रही है। वे भारी कीमत चुकाएंगे। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, हम इसे चुनौती देंगे। यह उस मामले की अनदेखी करना है जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख हैं। वह अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे और उचित फैसला लेंगे। उनसे पूछा गया था कि क्या पार्टी कैबिनेट के फैसले को अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने कहा, सरकार ने बहुत गलत कदम उठाया है। इससे ज्यादा बड़ा गलत कदम उठाने की संभावना भी नहीं है। राज्यपाल ने खुद को असहज स्थिति में डाला और अब सरकार भी ऐसा कर रही है। उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। पूर्व कानून मंत्री और जानेमाने वकील सिब्बल ने दावा किया कि सरकार ने इस आशंका के चलते यह कदम उठाया है कि उन्हें उच्चतम न्यायालय में सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, यह जानते हुए भी कि राष्ट्रपति शासन के फैसले को संसद में मंजूरी नहीं मिल सकती क्योंकि उन्हें राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं है, उन्होंने कदम उठाया है। सिब्बल ने कहा, यह सहयोगात्मक संघवाद की बात करने वाली सरकार की ओर से किया गया राजनीतिक असहनशीलता का कृत्य है। उन्होंने आरोप लगाया, वे चीन सीमा से लगे एक राज्य को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। अरणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने इतना कड़ा फैसला लेने से पहले राज्य सरकार से मशविरा नहीं किया, यह वाकई स्तब्ध करने वाली बात है। अरणाचल प्रदेश पूरी तरह शांतिपूर्ण है जहां पिछले महीने कानून व्यवस्था में गड़बड़ी का एक भी मामला नहीं आया। तुकी ने कहा, गणतंत्र दिवस समारोहों से पहले एक दिन शेष रहते हुए इस तरह का फैसला राज्य के लोगों की लोकतांत्रिक भावना को हतोत्साहित करेगा जो जोश के साथ चीन से लगी सीमा की रक्षा कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि दलबदल को बढ़ावा देकर चुनी हुई सरकारों को हटाने के लिए फिर से राजभवन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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