नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर सामने आई रिपोर्ट के बाद पैदा हुए विवाद के बीच पूर्व केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया है कि जब 45 देश इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो फिर सिर्फ भारत को ही क्यों निशाना बनाया गया। द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि संभावित टारगेट की लिस्ट में जो नंबर पाए गए हैं, वे भारत, अज़रबैजान, बहरीन, हंगरी, कज़ाकस्तान, मेक्सिको, मोरोक्को, रवांडा, सऊदी अरब और यूएई के हैं।
रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, क्या मानसून सत्र से पहले 'एक नया माहौल बनाने' के लिए कुछ लोग जानबूझकर खबर ब्रेक करने की कोशिश कर रहे थे। "क्या हम इस बात से इंकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी जैसी संस्थाओं का भारत विरोधी एजेंडा है?" उन्होंने उस अंतरराष्ट्रीय संगठन का जिक्र करते हुए कहा, जिसने लिस्ट जारी की थीं, जिन पर भारतीय और विदेशी मीडिया ने विस्तृत जांच की थी।
एक बार फिर इस मामले में सरकार की भूमिका का खंडन करते हुए प्रसाद ने कहा, 'इस पूरे पेगासस प्रकरण से भारत सरकार या भाजपा को जोड़ने के मामले में अंशमात्र भी सबूत नहीं है।' सरकार की भूमिका का सवाल तब पैदा हुआ, जब एनएसओ ने शुरुआत से कहा कि वे अपना सॉफ्टवेयर केवल 'जांची-परखी सरकारों' और उनकी एजेंसियों को देती है।
साल 2019 में व्हॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि उनके कई यूजर्स के अकाउंट के साथ पेगासस का इस्तेमाल करते हुए छेड़छाड़ की गई है। इसका प्रसाद ने यह कहते हुए खंडन कर दिया था कि यह 'सरकार की छवि खराब' करने की कोशिश है। उन्होंने कहा था, 'सरकार अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है।'