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नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिलिया विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर उठे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने दलित-आदिवासी और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उछाल दिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर इन्हें दिए अल्पसंख्यक दर्जे को खत्म करने का स्वागत किया है। गहलोत ने कहा कि इन संस्थानों में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों को मिलने वाला आरक्षण नकार दिया जाता था और अब ऐसा नहीं होगा।

गहलोत ने ईरानी को 18 जनवरी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि मानव संसाधान विकास मंत्रालय का ये कदम सराहनीय है, क्योंकि इससे समावेशी समाज के निर्माण में सहयोग मिलेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुसार 'सबका साथ सबका विकास' सही अर्थों में लागू किया जा सकेगा। गहलोत ने एनडीटीवी से कहा कि उनके मंत्रालय को लगातार इन दोनों विश्वविद्यालयों के बारे में प्रतिवेदन मिलता रहा है, जिनमें अल्पसंख्यक स्टेटस की आड़ में दलित-आदिवासी और ओबीसी छात्रों को संविधान प्रदत्त आरक्षण और अन्य सुविधाओं को नकारने की बात कही जाती रही। गहलोत के मुताबिक अब जबकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जामिया मिलिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा न होकर ये केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, इन छात्रों को उनका अधिकार दिलाने में आसानी होगी। दरअसल, केंद्र सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब इन विश्वविद्यालयों से अल्पसंख्यक दर्जा हटाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मुस्लिम विद्वानों और धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है। माना जा रहा है कि गहलोत के इस पत्र से केंद्र सरकार को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अल्पसंख्यक आरक्षण बनाम एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण की बात छेड़ने में मदद मिलेगी। भाजपा ये कह सकती है कि इन दोनों ही संस्थानों में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर दलित, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग का अधिकार छीना जा रहा है और वो इन्हें इनका अधिकार दिलवाने के लिए कोशिश कर रही है।

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