नई दिल्ली: बिहार में राजधानी पटना सहित कई क्षेत्रों में शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा समेत कई नदियों, जलाशयों में हजारों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य किए। हालांकि, बिहार के कुछ क्षेत्रों में गुरुवार को भी मकर संक्रांति मनाई गई थी। पटना में गंगा स्नान के लिए लोग गुरुवार की शाम से ही जुटने लगे थे। शुक्रवार सुबह ठंड के बावजूद लोगों ने गंगा के विभिन्न घाटों पर पहुंचकर स्नान किया। मकर संक्रांति के अवसर पर बक्सर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समेत कई क्षेत्रों में भी लोगों ने नदियों व जलाशयों में डुबकी लगाई। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में डुबकी लगाने और गंगा तट पर तिल का दान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। विद्वानों के मुताबिक, इसी दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और दक्षिणायण से उत्तरायण की ओर जाता है।
पंडितों का कहना है कि सूर्य के धनु से मकर राशि में जाने से ‘खरमास’ भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। पंडित श्रीपति शास्त्री के मुताबिक, ‘‘जो लोग मकर संक्रांति की सुबह गंगा स्नान के बाद भगवान भास्कर को तिल का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, उन पर भगवान भास्कर की कृपा बनी रहती है।’’ मकर संक्रांति के दिन चूड़ा-दही तथा तिलकुट खाने की भी परंपरा है। इस दिन तिल खाने और तिल दान में देने को भी शुभ माना जाता है।.... इलाहाबाद के संगम तट पर शुक्रवार को लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में श्रद्धा की डुबकी लगाई। मकर संक्रांति की वजह से श्रद्धालु रात में ही गंगा तट पर जुट गए और भोर होते ही गंगा स्नान शुरू हो गया। संगम के अलावा अन्य तटों पर भी स्नान चल रहा है। कुल 7,260 फीट जगह में 12 स्नान घाट बनाए गए हैं। मेला प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि मकर संक्रांति पर 25 लाख लोग स्नान करेंगे। यह स्नान आज देर शाम तक चलेगा। इस मौके पर इलाहाबाद में ट्रैफिक डायवर्जन रहेगा। भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक है। संगम क्षेत्र तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी दूर तक पैदल चलना पड़ रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, मेला क्षेत्र में यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। मेले में जाने के लिए पीपे के पुल का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था के तहत जगह-जगह सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे लगाए गए हैं। संगम का स्नान घाट 2000 फीट का बनाया गया है। अरैल स्नान घाट 700 फीट लंबा बनाया गया है और गंगा के पश्चिम में स्थित राम घाट 250 फीट का बनाया गया है। मकर संक्रांति के अवसर पर संगम स्नान की महत्ता के बारे में आचार्य रमेश उपाध्याय ने बताया, महाभारत काल में गंगा पुत्र भीष्म को अर्जुन ने अपने बाण से घायल कर दिया था। भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान था, इसलिए उन्होंने कहा था कि जब सूर्य उत्तरायण होगा, तभी वह अपने प्राण त्यागेंगे। उन्होंने बताया कि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में प्राण त्यागने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। मध्य प्रदेश में शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर विभिन्न नदियों में डुबकी लगाने के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ी है और देवालयों में भी विशेष पूजा-अर्चना जारी है। सूर्य के मकर राशि में गुरुवार और शुक्रवार की मध्य रात्रि को प्रवेश के बाद राज्य में गुरुवार से ही मकर संक्रांति मनाना शुरू हो गया था। धर्म के जानकारों के अनुसार, यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर मनाया जाता है, लिहाजा यह पर्व इस बार दो दिन है। इस पर्व का महत्व सूर्योदय पर ही है, यही कारण है कि शुक्रवार को नदियों में मंगल स्नान किया जा रहा है और मंदिरों में पूजा अर्चना की जा रही है। होशंगाबाद, जबलपुर और अमरकंटक में नर्मदा नदी पर सुबह से ही श्रद्घालुओं का मेला लगा हुआ है और शरीर में तिल लगाकर वे नदी में डुबकी लगा रहे हैं। इतना ही नहीं नदियों के तट पर स्थित मंदिरों में पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का जारी हैं। इसी तरह उज्जैन में क्षिप्रा नदी में स्नान कर श्रद्घालुओं ने बाबा महाकाल के दरबार में पहुंचकर पूजा-अर्चना की तो ओरछा में बेतवा नदी में पुण्य स्नान के बाद रामराजा के मंदिर में अराधना करने वालों की भारी भीड़ रही। एक तरफ जहां स्नान और पूजा-अर्चना का दौर जारी है, वहीं गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी किया जा रहा है। कोई गुड़-तिल के लड्डू तो कोई खिचड़ी दान में दे रहा है। इसके अलावा कई स्थानों पर लोग पतंगबाजी भी कर रहे हैं।