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तिरुवनंतपुरम: लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर भी जारी है। इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि भाजपा दक्षिण भारत में मजबूत प्रदर्शन का दावा कर रही है लेकिन यह सब सत्तारूढ़ दल की ‘प्रचार मिल’ का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भले ही भाजपा उत्तर में सांप्रदायिकता, धार्मिकता जैसी बातें दोहरा रही है लेकिन दक्षिण में यह सब हावी नहीं होता।

देश की संस्कृति के डीएनए में धर्मनिरपेक्षता अंतर्निहित है:  शशि थरूर

एक साक्षात्कार में कांग्रेस के सांसद थरूर ने कहा कि हिंदी, हिंदुत्व, हिंदुस्तान के प्रभुत्व की तलाश वास्तव में हमारी बहुलवादी चेतना की नींव के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश की संस्कृति के डीएनए में धर्मनिरपेक्षता अंतर्निहित है और यह इतनी आसानी से गायब नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी माना कि यह चुनाव धर्मनिरपेक्षता के लिए नहीं है क्योंकि कुछ ताकतें हमेशा भारत के इस आवश्यक मुद्दे पर हावी हो रही हैं।

राम मंदिर पर बोले-  घर के पूजा कक्ष में भगवान राम सुशोभित हैं

थरूर ने यह भी माना कि इस बार का लोकसभा चुनाव भारत की आत्मा के लिए चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण चरण है। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा द्वारा धर्म का राजनीतिकरण तब बहुत आगे बढ़ गया, जब प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की। उन्होंने कहा कि भगवान राम की तस्वीर मेरे घर के पूजा कक्ष में एक स्थान पर सुशोभित है, मुझे यह पूछने का पूरा अधिकार है कि मुझे अपने राम को भाजपा को क्यों सौंप देना चाहिए? भगवान राम पर कॉपीराइट भाजपा को किसने दिया?

मतदाता सब जानता है: थरूर

थरूर ने कहा मतदाता वास्तविक मुद्दों जैसे बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिक नफरत के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। उन्होंने कहा कि लोग धर्म के लिए नहीं बल्कि अपनी देखभाल के लिए सरकार चुनते हैं। अगर मतदाता अपने स्वार्थ के लिए मतदान करेंगे तो वे भाजपा को सत्ता से बाहर कर देंगे।

भाजपा के पास बताने के लिए कुछ नहीं: थरूर

थरूर ने दावा किया कि भाजपा के पास अपने 10 साल के शासन में केरल की जनता को बताने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य से तीन वादे किए गए थे। केरल में एक एम्स का वादा, राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय का वादा और तिरुवनंतपुरम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग को अपग्रेड करने का वादा, इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ।

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