नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा पर गवाहों को प्रभावित करने के लगे आरोपों को सही माना है। इस मामले में कोर्ट ने यूपी पुलिस से रिपाेर्ट मांगी है। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी हैं। उन पर आरोप है कि वे गवाहों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में तथ्यात्मक जांच करने का आदेश दिया है। वहीं जांच रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। हालांकि, अजय ने अपने हलफनामे में इन आरोपों से साफ मना किया है।
गवाहाें को प्रभावित करने के आरोप पर आशीष मिश्रा का भी बयान सामने आया है। वह कहता है कि हर बार जब वह काेर्ट में पेश होता है तो जमानत रद कराने के लिए इसी तरह के आरोप लगाए जाते हैं।
शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि उनके पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जिसमें गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
अदालत को करनी चाहिए जांच
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आशीष मिश्रा ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हुए एक सार्वजनिक बैठक में भाग लिया था। भूषण ने मिश्रा की जमानत रद करने की मांग करते हुए कहा कि अदालत को इस सबूत की सच्चाई की जांच करनी चाहिए।
वकील ने आरोपों का किया विरोध
अजय मिश्रा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने इन आरोपों का विरोध किया है। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को बेवजह परेशान किया जा रहा है। वकील ने दावा किया है कि जिस दिन सार्वजनिक बैठक हुई थी, उस दिन आशीष मिश्रा दिल्ली में लोकसभा सचिवालय में मौजूद थे।
चार हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई
वहीं कोर्ट ने प्रशांत भूषण और सिद्धार्थ दवे को अपने-अपने सबूत यूपी सरकार की वकील रुचिरा गोयल को सौंपने का निर्देश दिया है। ताकि वे इसे लखीमपुर खीरी पुलिस अधीक्षक को भेज सकें। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की है।
22 जुलाई 2023 को अजय को मिली थी जमानत
आपको जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2023 को आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा कर दिया था। साथ ही जमानत देते हुए कोर्ट ने ये भी कहा था कि अजय मिश्रा सिर्फ लखनऊ या दिल्ली में ही रह सकते हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की थी हिंसा
ज्ञात हो कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना में आठ लोगों की मौत हुई थी, जिनमें चार किसान शामिल थे। आरोप है कि किसानों को एक एसयूवी वाहन ने रौंद दिया था। इसके बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी जान चली गई थी। उस समय यूपी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दौरा भी था।