बांदा: उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखण्ड में सरकारी राशन को लेकर जातिगत राजनीति शुरू हो गई है। प्रदेश के इस झेत्र में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकारी राशन की व्यवस्था की है, ये सुविधा तब तक के लिए दी गई है, जब तक यहाँ लोगों को सूखे से कुछ राहत ना मिल जाये। वोटबैंक के लिहाज़ से ये इलाका बहुजन समाज पार्टी का माना जाता है',लिहाजा सरकारी राशन लेने जा रहे दलित की मौत ही सरकार की कोशिश को नाकामयाब कर सकती है। एक दलित की सरकारी राशन लेने जाते वक़्त मौत ने विपक्ष को मौका दे दिया। बुंदेलखण्ड स्थित जिले बांदा में सरकारी राशन लेने जा रहे एक दलित की रास्ते में ही मौत को अब राजनितिक रंग दिया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियां खासकर भाजपा प्रदेश सरकार पर हमलावर हो गयी है। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि बांदा के ऐला गांव में नाथू (41) नामक दलित व्यक्ति मंगलवार को सरकार द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बांटा जा रहा राशन लेने जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी। नाथू की पत्नी मुन्नी देवी के मुताबिक उसका परिवार पिछले चार दिन से भूखा था और उसका पति सरकारी मदद का इंतजार कर रहा था। मंगलवार को सरकारी राशन पहुंचने पर नाथू उसे लेने घर से निकला लेकिन भूख की वजह से रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी।
हालांकि जिलाधिकारी योगेश कुमार ने नाथू की मौत भूख के कारण होने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नैरनी के उपजिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस दलित व्यक्ति की मौत गर्मी के कारण या दिल का दौरा पड़ने से हुई है। कुमार ने कहा कि चूंकि परिजनों ने नाथू के शव का अंतिम संस्कार कर दिया है, इसलिये उसकी मौत के कारण के बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि पड़ताल जारी है। दूसरी ओर, मुन्नी देवी का आरोप है कि राहत पैकेट काफी देर में पहुंचे और उसके पति की भूख से मौत हो गयी। उसका कहना है कि हलके के लेखपाल ने नाथू के शव का जल्द से जल्द अंतिम संस्कार करने का दबाव डाला ताकि उन्हें कोई मुआवजा न मिल सके। साथ ही आज एक अधिकारी कुछ कागजात पर उसके अंगूठे का निशान लगवाने आया और कहा कि वह अपने घर में अनाज न होने की बात किसी को न बताये।