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लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार प्रदेश की सभी नदियों को स्वच्छ, निर्मल और प्रदूषण रहित बनाने के लिए कृत संकल्प है। मुख्यमंत्री यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में गोमती नदी के सौन्दर्यीकरण से संबंधित कार्याे की समीक्षा कर रहे थे। उनके समक्ष वृन्दावन में यमुना, अयोध्या में सरयू तथा वाराणसी में वरुणा नदी के सौंदर्यीकरण संबंधी प्रस्तुतिकरण भी किया गया। यादव ने इन स्थानों पर नदियों के सौंदर्यीकरण कार्य के लिए सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ‘क्लीन यूपी-ग्रीन यूपी’ अभियान राज्य सरकार की प्राथमिकता है। आने वाली पीढि़यों को बेहतर पर्यावरण सौंपने के लिए हमें अपनी नदियों पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए सरकार के प्रयास के साथ-साथ जनता का सहयोग भी जरूरी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के समक्ष वृंदावन में यमुना नदी के सौंदर्यीकरण, वाराणसी में वरुणा नदी तथा अयोध्या स्थित राम की पैड़ी में सरयू नदी के सौंदर्यीकरण की प्रस्तावित परियोजनाओं पर एक प्रस्तुतिकरण भी किया गया। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अपनी सैद्धान्तिक सहमति देते हुए यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार प्रदेश की सभी नदियों को स्वच्छ, निर्मल और प्रदूषण रहित बनाने के लिए कृत संकल्प है।

उन्होंने कहा कि वाराणसी में गंगा नदी को साफ बनाने के लिए वरुणा नदी को साफ-सुथरा बनाना जरूरी है। यादव ने कहा कि राज्य सरकार गोमती नदी के अलावा सैंगर, अनैया, चन्द्रावल, अखेरी तथा हिंडन नदियों को भी पुनर्जीवित करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है, ताकि इन नदियों को इनके प्राकृतिक स्वरूप में लाया जा सके। नदियों का संरक्षण आर्थिक रूप से एक बड़ा काम है, लेकिन इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में फतेहपुर जनपद में ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित किया गया है। मुख्यमंत्री ने लखनऊ में गोमती नदी के सौंदर्यीकरण से जुडे़ सभी कार्याें को पूरी गुणवत्ता के साथ निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने गोमती नदी को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है। गोमती रिवरफ्रण्ट डेवलपमेंट परियोजना की प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए यादव ने कहा कि गोमती जब शहर में प्रवेश करती हंै तब उसका पानी साफ दिखायी देता है किन्तु जब शहर से बाहर निकलती है, तो पानी काफी प्रदूषित हो जाता है। इसका कारण गोमती में गिरने वाले नाले हैं। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि गोमती के अन्दर एक भी नाले का गंदा पानी न गिरने पाये। मुख्यमंत्री ने इस वर्ष अक्टूबर माह तक परियोजना को पूरा किए जाने पर बल देते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि नियमित अनुश्रवण कर परियोजना की प्रगति का जायज़ा लेते रहें और यह भी सुनिश्चित करें कि इसके लिए वित्तीय स्वीकृतियां समय से जारी होती रहें। उन्होंने परियोजना क्षेत्र में वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराने, सीसीटीवी स्थापित किए जाने के साथ-साथ पेडिस्ट्रियन ब्रिज तथा वाॅच टावर का निर्माण कराए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना के पूरा हो जाने के बाद इसके उचित रख-रखाव के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने परियोजना के लिए कंस्ट्रक्शन मैनेजर नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दी गई रिवरफ्रण्ट परियोजना में हरियाली, साइकिल ट्रैक, जाॅगिंग ट्रैक, वाटर शो, फाउन्टेन शो जैसी आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति का समावेश किया गया है। अब तक 12 किमी लंबी डाईफ्राम वाॅल का निर्माण कराया जा चुका है। इंटर सेप्टर ड्रेन भी बनायी जा चुकी है। परियोजना क्षेत्र में 33 प्रजातियों के लगभग 4 हजार पेड़ लगाए जाएंगे। बैठक के दौरान अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को प्रस्तुतिकरण के माध्यम से यह जानकारी दी गई कि वृन्दावन में केशी घाट पर कोसी नाले का प्रदूषित जल यमुना नदी में मिल रहा है और नदी घाट से दूर भी बह रही है। परियोजना के तहत कोसी नाले के लिए इंटरसेप्टिंग ड्रेन का निर्माण कराया जाएगा, नदी का प्रवाह घाट तक लाया जाएगा और जल स्तर ठीक करने के लिए अतिरिक्त जलापूर्ति भी यमुना में की जाएगी। इसी प्रकार वाराणसी में वरुणा नदी की सफाई के लिए उसके किनारे पाॅलीमर का ‘जियो वेब’ लगाया जाएगा और ज्ञानपुर पम्प कैनाल से अतिरिक्त जलापूर्ति की जाएगी। अयोध्या में राम की पैड़ी पर निरंतर बहता हुआ पानी उपलब्ध कराने के लिए पम्पों की क्षमता बढ़ायी जाएगी। इस अवसर पर व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री अभिषेक मिश्रा, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल, वरिष्ठ अभियन्तागण तथा गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना की डिजाइन कन्सल्टंेट कम्पनी के अधिकारी भी मौजूद थे।

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