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अलीगढ़: जिले के अधिकारियों ने रविवार को इस आरोप को सिरे से खारिज किया कि फिल्म 'अलीगढ़' पर यहां पाबंदी लगाई गई है। यह फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के एक प्रोफेसर की जिंदगी पर आधारित है, जिन्हें समलैंगिकता के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। इस बीच, शहर की मेयर ने 'अलीगढ़' फिल्म दिखाए जाने का कड़ा विरोध किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जे रविंद्र गौड़ से जब मीडिया में आई उन खबरों के बारे में पूछा गया कि जिले में फिल्म पर पाबंदी लगा दी गई है, तो उन्होंने कहा, 'हमें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। इस फिल्म को दिखाने के लिए किसी तरह की सुरक्षा मांगने के लिए किसी सिनेमा मालिक ने हमसे संपर्क नहीं किया है।' बहरहाल, इस फिल्म का सबसे ज्यादा विरोध बीजेपी नेता और शहर की मेयर शकुंतला भारती ने किया है। भारती ने ऐलान किया कि वह फिल्म पर आधिकारिक रूप से पाबंदी लगाने के लिए जिले के अधिकारियों से मुलाकात करेंगी।

भारती ने बताया, 'यह फिल्म हमारी संस्कृति के खिलाफ है। यह इस शहर की गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है। इससे हमारे शहर की बदनामी होगी।' उन्होंने कहा, यदि फिल्म को कोई और नाम दिया गया होता मैं ऐतराज नहीं करती, लेकिन हम अपने शहर की बदनामी स्वीकार नहीं कर सकते। इस बीच, 26 फरवरी को 'अलीगढ़' देख चुके फिल्म विश्लेषक आसिम सिद्दीकी सहित एएमयू के दो प्रोफेसरों ने कहा कि हो सकता है जनता में उत्साह न देखते हुए सिनेमाघर के मालिकों ने इस फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया हो।

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