कोहिमा: नगालैंड में 5 दिसंबर के हमले की जांच के लिए पहुंची सेना की टीम ने राज्य की जांच टीम को उन सैनिकों का बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति दी है जो ऑपरेशन में शामिल है। इस ऑपरेशन में 14 आम नागरिकों को जान गंवानी पड़ी थी। पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी। बाद में ग्रामीणों ने गुस्से में जवानों को घेर लिया थ और उनके हमले में एक सैनिक को जांन गंवानी पड़ी थी। गलत पहचान के कारण यह घटना हुई थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नगालैंड स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी इस सप्ताह 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों के बयान रिकॉर्ड करने का काम पूरा कर सकती है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं कि है कि राज्य स्तर की टीम की ओर से की जा रही जांच किस तरह आगे बढ़ेगी क्योंकि नगालैंड में इस समय आर्म्ड फोर्सेस (स्पेशल) पावर्स एक्ट (अफस्पा) लागू है, जो केंद्र की अनुमति के बिना सुरक्षा बलों पर किसी भी तरह का अभियोग चलाने से संरक्षण प्रदान करता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच को गति प्रदान करने के लिए नगालैंड एसआईटी का विस्तार करते हुए 8 सदस्यों से 22 सदस्यों का किया गया है।
इस बड़ी टीम में पांच आईपीएस ऑफिसर शामिल हैं। जांच को जल्द पूरा करने के लिए एसआईटी टीम को सात टीमों में बांटा गया है।
गौरतलब है कि नगालैंड में सुरक्षा बलों के एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में 'गलत पहचान' के चलते 14 स्थानीय लोग मारे गए थे। सुरक्षा बल के एक जवान की भी बाद में मौत हो गई थी। घटना म्यांमार की सीमा से लगे नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में हुए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस घटना पर दुख जाहिर करते हुए बताया था कि गलत पहचान के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।