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इंफाल: मणिपुर में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार भले ही राज्य की एक मात्र राज्यसभा सीट शुक्रवार को जीत गई हो, लेकिन 9 विधायकों के समर्थन वापसी के बाद अभी सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार को बचाने और इसे गिराने को लेकर मणिपुर की राजधानी इंफाल में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) की बैकडोर बैठकों का दौर जारी है। रविवार को एनपीपी प्रसिडेंट और मेघालय के मुख्यमंत्री कोर्नाड संगमा इंफाल जाकर पार्टी विधायकों से मुलाकात की और अन्य दलों की बैठकों में हिस्सा लिया।

मणिपुर में भाजपा की सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले असम के सीनियर मंत्री और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलाइंस (एनईडीए) के कन्वेनर हेमंत बिस्व सरमा के बारे में यह खबर है कि उन्होंने सरकार बचाने के लिए फौरन इंफाल का दौरा किया। इंफाल टाइम्स के मुताबिक, संगमा और सरमा दोनों ही चार्टर्ड विमान से इंफाल गए। उन्होंने मणिपुर की राजधानी के एक होटल में बैठकें की ताकि मतभेदों को दूर कर एनपीपी को वापस सत्ताधारी गठबंधन में वापस लाया जा सके।

इस बैठक के नतीजे के बारे में अभी कुछ निकलकर नहीं आया है। दोनों ही नेताओं को रविवार को इंफाल से फ्लाइट के जरिए रवाना होना था।

मणिपुर कांग्रेस प्रवक्ता निग्नोम्बान बुपेन्दा मेइति ने कहा, “मैंने सुना कि मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी प्रसिडेंट कोनार्ड संगमा और असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा आज इंफाल में हैं। अगर मुख्यमंत्री को भी रिप्लेस कर किसी और को बना दिया जाता है तब भी उनकी मौजूदगी का कोई असर नहीं होगा। मणिपुर में अब एक ही समाधान है कि कांग्रेस के नेतृत्व में एसडीएफ की सरकार बने।”

मणिपुर सीएम ने कहा- राज्यसभा चुनाव में जीत से संदेह हटा

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 20 जून को कहा कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जीत ने निस्संदेह ''बहुमत और अल्पमत" के मुद्दे का निपटारा कर दिया है। उन्होंने यह बात कांग्रेस नीत विपक्ष पर हमला करते हुए कही जो चार मंत्रियों सहित सत्तारूढ़ गठबंधन के नौ सदस्यों द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहा है। मणिपुर से एकमात्र राज्यसभा सीट पर विजयी हुए भाजपा उम्मीदवार लीशेम्बा सनाजाओबा ने 28 मत प्राप्त कर राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस के उनके प्रतद्वंद्वी टी मांगी बाबू को 24 वोट मिले। 60 सदस्यीय विधानसभा में आठ विधायकों ने मतदान नहीं किया।

राज्यसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ 9 विधयाकों ने दिया इस्तीफा

मणिपुर में राज्यसभा चुनाव के दौरान बड़ा राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला और नौ सत्तारूढ़ सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। भाजपा उम्मीदवार की जीत से पता चलता है कि पार्टी के पास अब भी बहुमत है और उसके अल्पमत में आने का विपक्ष का दावा साबित नहीं हो पाया। नौ सत्तारूढ़ सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने मौका भांपते हुए भाजपा नीत सरकार को अपदस्थ करने के प्रयास तेज कर दिए थे और बृहस्पतिवार (18 जून) को राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का आग्रह किया था।

कांग्रेस विधायक दल के नेता ओ इबोबी सिंह के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया था कि उनके पास बहुमत है और मौजूदा सरकार बहुमत न होने के कारण गिर चुकी है। प्रतिनिधिमंडल में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के सदस्य भी शामिल थे।

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