ताज़ा खबरें
संसद का बजटसत्र रहेगा हंगामेदार, महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा भी गूंजेगा

जयपुर: राजस्थान कैडर की अफसरशाही में सबसे बड़े विवाद पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अन्य सेवाओं से आईएएस में स्पेशल सलेक्शन को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाली आरएएस एसोसिएशन की याचिका को कोर्ट ने न केवल खारिज कर दिया बल्कि आरएएस एसोसिएशन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।

कोटे की लड़ाई 2016 से शुरू हुई थी, लेकिन पिछले साल आरएएस एसोसिएशन मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गई थी। एक जनवरी 2023 को आईएएस में प्रमोशन के 4 पद खाली हुए थे। यूपीएससी ने इसे भरने की अनुमति दे दी और सरकार को कहा कि भर्ती प्रक्रिया चालू करें। सरकार ने सभी विभागों से नाम मांगे और स्पेशन सिलेक्शन के लिए तीन आईएएस अफसरों की एक कमेटी बना दी। इसमें आईएएस वीनू गुप्ता, टी रविकांत तथा वैभव गालरिया की कमेटी ने विभिन्न विभागों की तरफ से भेजे गए 85 नामों से 20 नाम फाइनल कर दिए। तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत से अप्रूव होकर जून 2023 में ये नाम यूपीएससी चले गए।

यूपीएससी की ओर से प्रकिया चालू की जा रही थी कि उसी समय आरएएस एसोसिएशन हाईकोर्ट से स्टेट ले आई। 26 नवंबर को सुनवाई पूरी करने के साथ कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था।

सरकार की तरफ से ये नाम यूपीएससी को भेजे गए

सरकार की तरफ से स्पेशल सलेक्शन के लिए 20 नाम यूपीएससी को भेजे गए थे। इनमें इंटरव्यू के जरिए 4 नाम आईएएस में स्पेशल सलेक्शन के लिए फाइनल होने थे। अब जब हाईकोर्ट ने प्रक्रिया पर से स्टे हटा दिया है तो यूपीएएसी इसकी प्रक्रिया पर आगे बढ़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक जो 20 नाम सरकार की तरफ से यूपीएएसी भेजे गए उनकी सूची इस प्रकार है। केसर सिंह, राशिद खान, नरेश गोयल, सुरेश वर्मा, अमिता शर्मा, राजेंद्र तंवर, शिप्रा विक्रम, राजेंद्र तंवर, विनेश सिंघवी, नरेंद्र मंघानी, नितीश शर्मा, अनिल अंबेश, संगीत कुमार, रमजान अली, मुकेश मीणा, भोमा राम, प्रवीण चारण, श्याम सुंदर जानी व शुद्धोधन उज्ज्वल।

कोर्ट ने ये दिया फैसला

जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने आज RAS एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका खारिज होने के साथ ही प्रमोशन पर लगी रोक भी हट गई है। कोर्ट ने RAS एसोसिएशन पर व्यक्तिगत हितों के चलते याचिका लगाकर कोर्ट का समय बर्बाद करने पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है।

सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया- कोर्ट में आरएएस एसोसिएशन ने कहा था आईएएस में कोटे के तहत अधिकतम 33 सीटें प्रमोशन से भरी जा सकती है। नियम कहते हैं कि इस कोटे में 15% सीटें अन्य सेवाओं से स्पेशल सलेक्शन के जरिए भी भरी जा सकती है। इसके लिए विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार अन्य सेवाओं के अफसरों का नाम आईएएस में स्पेशल सलेक्शन के लिए रिकमंड करती है। आरएएस एसोसिएशन का कहना था कि राज्य में ऐसी कोई विशेष परिस्थति नहीं है, इसलिए 33 प्रतिशत कोटे को सिर्फ आरएएस के प्रमोशन से ही भरा जाना चाहिए।

विशेष परिस्थिति तय करने का अधिकार सरकार का

राज्य सरकार का इसमें कहना था कि विशेष परिस्थिति तय करने का अधिकार उसका है। इसके लिए वह अन्य सेवाओं के अफसरों का नाम रिकमंड करती है। यूपीएससी के इंटरव्यू के जरिए उनका प्रमोशन किया जाता है। इसके अलावा आरएएस एसोसिएशन की तरफ से नियमों को चुनौती नहीं दी गई थी। इसलिए हाईकोर्ट ने माना कि आरएएस एसोसिएशन का मकसत सिर्फ इस पूरे कोटे का इस्तेमाल करना ही था। इसलिए कोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका खारित करते हुए उस पर 5 लाख रुपए की कोस्ट लगाई है।

जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट

आरएएस एसो. अध्यक्ष महावीर खराडी ने कहा कि हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। अभी निर्णय नहीं लिया है, लेकिन आगे हम सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।

विशेषज्ञ होने का फायदा प्रदेश को मिलता है

वहीं, राजस्थन अन्य प्रशासनिक सेवा परिसंघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि यह राजस्थान की पॉलिसी है कि नॉन आईएएस से 15 प्रतिशत स्पेशल सिलेक्शन होता है। कोर्ट का भी यही मानना था कि सरकार यह पॉलिसी बना सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि स्पेशल सिलेक्शन से जो आईएएस बनते हैं वे अपने फील्ड के मास्टर होते हैं। इसका फायदा स्टेट को भी मिलता है। इसलिए हमारा मानना है कि यह होते रहना चाहिए।

वहीं, आरएएस एसोसिएशन के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि राज्य सरकार को अपना डिस्क्रिशन पॉवर सरेंडर नहीं करना चाहिए था। मूल रूप से यह प्रमोशन कोटा ही था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे पास्ट प्रैक्टिस मानते हुए जारी रखा, जबकि ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख