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अलीगढ़ (जनादेश ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4-3 के बहुमत से पुराने फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है। अब कोर्ट ने तीन जजों की एक बेंच को यह जिम्मेदारी दी है कि वे इस नए फैसले में दिए गए सिद्धांतों के आधार पर एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का पुनः निर्धारण करें।

हमें उम्मीद थी कि फैसला हमारे हक में आएगा: एएमयू छात्र

मोहम्मद सादिक नाम के छात्र ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बहुत स्वागत है और हमको इससे बहुत खुशी हुई है। केंद्र सरकार सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और उनको शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हमें पॉजिटिव रिजल्ट की ही उम्मीद थी।"

एक अन्य छात्र ने बताया कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हुए इसे सकारात्मक तौर पर लेता हूं। संविधान हमें यह अधिकार देता है कि हमें अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर बरकरार रखा जाए।

एक अन्य छात्र ने बताया, "मैं एएमयू में विद्यार्थी हूं और बीए बीएड कोर्स, फर्स्ट सेमेस्टर में हूं। अभी सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है, इस पर हमें बहुत खुशी है। हमारे हक में फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात को सुना है। हमें उम्मीद थी कि हमारे हक में फैसला आएगा।"

अन्य छात्रों को मौका मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं भी जनरल कोटे से आया हूं। सभी छात्रों को मौका मिलता है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस देने के मामले में 7 जजों की बेंच का फैसला आया है। हालांकि यह फैसला सर्वसम्मति से नहीं बल्कि 4:3 के अनुपात में आया है। फैसले के पक्ष में सीजेआई, जस्टिस खन्ना, जस्टिस पारदीवाला जस्टिस मनोज मिश्रा एकमत रहे। जबकि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एससी शर्मा का फैसला अलग रहा।

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