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लखनऊ: लेटरल एंट्री को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा है। मंत्री ने पत्र में संघ लोक सेवा आयोग से लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों को वापस लेने को कहा है। इस फैसले पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया आई है।

अखिलेश यादव ने कहा, 'यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये पीडीए में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है।'

सपा प्रमुख ने कहा, 'इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के खिलाफ 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरजोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी।

उन्होंने कहा, जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है।' उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।

गौरतलब है कि पत्र में कहा गया है कि लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए इसे वापस लिया जाए। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उच्च पदों पर लेटरल एंट्री के लिए संविधान में निहित सामाजिक न्याय और आरक्षण पर जोर देना चाहते हैं। इसलिए इस विज्ञापन को वापस लिया जाय।

केंद्र ने पत्र में सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक जनादेश को बनाए रखने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। केंद्र ने कहा कि हाशिए पर मौजूद योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिले, इसकी जरूरत है।

 

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