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लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज सीट से सांसद चुने गए। उसके बाद उन्होंने करहल की अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसी के साथ सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया था। लंबे समय से इस बात की अटकलें चल रहीं थीं कि अपनी विरासत वह सदन में किसे सौंपने जा रहे हैं।

राजनीतिक हलकों में कभी चाचा शिवपाल का नाम सामने आता तो किसी दूसरे ओबीसी नेता का। रविवार को अखिलेश ने लगभग चौंकाते हुए माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष के लिए चुना।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और सात बार के विधायक माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा में नेता विरोधी दल बनाया गया है। इसके अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायक कमाल अख्तर को सपा विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक और राकेश कुमार को उप सचेतक बनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा है। महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल में शामिल किए जाने की संस्तुति भी की है। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के घंटे भर पहले सपा ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाने का निर्णय लिया।

माता प्रसाद पांडेय सिद्धार्थनगर की इटावा सीट से 7 बार विधायक चुने जा चुके हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर जीता था।

दो बार रह चुके हैं विधानसभा अध्यक्ष

81 वर्षीय माता प्रसाद पांडेय दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। माता प्रसाद पांडेय के लंबे राजनीतिक अनुभव और संसदीय परंपराओं के अच्छे जानकार होने के चलते उन्हें इस पद के लिए चुना गया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि सपा दल के मुख्य सचेतक, उप सचेतक और अधिष्ठाता मंडल में सदस्य शामिल करने के बाबत आदेश सोमवार को जारी होगा।

ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश

यूपी में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। ब्राह्मणों को यह संदेश देने के लिए सपा पीडीए की बात करने के बावजूद उन्हें अहम पद देने में पीछे नहीं है, माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए चुना गया। यहां बता दें कि सपा के विधायक मनोज पांडेय, राकेश पांडेय और विनोद चतुर्वेदी ने भाजपा के पक्ष में पाला बदल लिया, जिससे ब्राह्मण समाज में यह संदेश गया कि सपा में उनकी अहमियत कम हो रही है। इस कदम से ब्राह्मण समाज में अच्छा संदेश जाएगा।

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