लखनऊ: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आज (16 जुलाई) लखनऊ आईं। वह गांधी प्रतिमा पर पहुंचीं और मौन धारण कर लिया। कांग्रेस के नेताओं का कहना है प्रियंका का यह मौन प्रदेश में फैली अराजकता, चुनाव में धांधली और हिंसा समेत महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और लचर कानून व्यवस्था को लेकर है। अब बड़ा सवाल यह है प्रियंका के इस मौन को समझेगा कौन, क्योंकि जिन मुद्दों पर प्रियंका गांधी ने मौन धारण करके विरोध जताया है, ऐसे मुद्दों को राज्य सरकार सिरे से खारिज करती रही है। अब देखने वाली बात तो यह है कि जितने कोलाहल के साथ प्रियंका गांधी की राज्य में एंट्री हुई और जिसके बाद बड़ी खामोशी से मौन प्रदर्शन किया गया, वह कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाएगा?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रियंका गांधी का शुक्रवार का दौरा बड़ा ही अहम माना जा रहा है। अहम इस लिहाज से है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से अनाधिकारिक तौर पर राज्य में चुनावी बिगुल फूंक दिया गया। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी राजधानी में पहुंचने के बाद जीपीओ पर बनी गांधी प्रतिमा पर जाती हैं और मौन प्रदर्शन शुरू कर देती हैं।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह मौन प्रदर्शन राज्य की भाजपा सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए अहम हथियार है। अब सवाल यह है कि प्रियंका का मौन आखिर कैसे भाजपा को सत्ता से बाहर करेगा?
पार्टी को एकजुट करना बड़ी जिम्मेदारी
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में चुनावी जनसभा, रैली और चुनावी पल्स को समझने के साथ-साथ अपनी पार्टी में हुए बिखराव को भी बहुत करीने से संभालना होगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जिस तरह आपसी फूट है, वह फिलहाल राज्य में कांग्रेस को सत्ता के आस-पास फटकने तक नहीं देती। ऐसे में प्रियंका गांधी को सबसे पहले अपने दौरे में बिखरी हुई पार्टी के लोगों को आपस में जोड़ने होगा और उन्हें एक मंच पर लाना होगा। पार्टी के कार्यकर्ता और नाराज नेताओं को प्रियंका गांधी के इस मौन का मतलब भी समझना होगा।
मौन के क्या-क्या मायने निकाल रहे लोग
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि प्रियंका गांधी के मौन का मतलब सिर्फ मौन नहीं है। दरअसल, यह एक हुंकार है, जो उत्तर प्रदेश की जनता के बीच जाने को तैयार है। यह हुंकार मौन के रूप में सिर्फ प्रियंका गांधी की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की जनता की है। कांग्रेस के नेता का कहना है कि प्रियंका गांधी के इस मौन को पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भी समझना चाहिए। उनका कहना है कि जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने कोरोना काल में सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश के जिले, शहर, तहसील और गांव-गांव में दस्तक दी, वह उनकी बहुत बड़ी ताकत बनकर सामने आ रही है। हालांकि, सबसे बड़ा अड़ंगा पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का प्रदेश अध्यक्ष को लेकर उपजा विवाद है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि प्रियंका गांधी अगर अपने मौन के माध्यम से इस विवाद को भी सुलझा लेती हैं तो कम से कम संगठन स्तर पर उनकी जीत हो जाएगी। बाकी मैदान में जो जितना संघर्ष करेगा, उसको उतना ही मिलेगा।
प्रियंका के दौरे पर सवाल भी
प्रियंका गांधी के इस दौरे पर कांग्रेस के कुछ नेता ही सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रियंका गांधी का यह दौरा प्रदेश की राजधानी लखनऊ और रायबरेली अमेठी तक ही सीमित रहा तो यह दौरा पूरे प्रदेश का नहीं हो सकता। दरअसल, पूरे प्रदेश की अलग-अलग समस्याएं हैं। उन समस्याओं को समझने के लिए सिर्फ रायबरेली और अमेठी में सीमित नहीं रहा जा सकता। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रियंका गांधी का यह लखनऊ में पहला दौरा है। भविष्य में भी ऐसे दौरे होंगे। पार्टी के मुताबिक, प्रियंका गांधी के अलावा पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी प्रदेश के हर क्षेत्र और इलाके में जाकर राज्य सरकार की खामियों के बारे में जनता को बताएंगे। साथ ही, सड़क पर संघर्ष भी करेंगे।