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लखनऊ: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को उत्तर प्रदेश की सपा सरकार से कहा कि वह प्रदेश में पूर्णतया शराबबंदी लागू करे। वहीं, सपा ने नीतीश कुमार की इस सूबे में बढ़ती गतिविधियों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नीतीश प्रदेश की समाजवादी सरकार पर नकारात्मक टिप्पणी करके साम्प्रदायिक ताकतों को मजबूत कर रहे हैं। ओवैसी और भागवत जैसे लोगों की जमात में नीतीश भी शामिल हो गये हैं। बिहार में पूर्णतया शराबबंदी लागू कर चुके नीतीश ने यहां किसान मंच के एक कार्यक्रम में कहा, ‘घबराइये नहीं अखिलेश जी। (पूर्णतया शराबबंदी) लागू कीजिए।’ उन्होंने बताया कि जब बिहार में शराबबंदी लागू की गयी थी तो पीने वालों को तीन चार दिन काफी परेशानी हुई लेकिन उसके बाद सब शांत और शुद्ध हो गये। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य में शराबबंदी लागू कर चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नीतीश ने कहा कि वह भाजपा शासित सभी राज्यों में पूर्णतया शराबबंदी लागू करें। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से यह आग्रह भी किया कि वह बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में सीमा से कम से कम पांच किलोमीटर की दूरी के भीतर शराब ना बिकने दें क्योंकि बिहार में शराबबंदी के बाद लोग सीमावर्ती जिलों में आकर शराब पी रहे हैं।

नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी को जिस तरह का समर्थन उनके राज्य में मिला, वह उम्मीद करते हैं कि देश के अन्य राज्यों में भी इस मिशन को ऐसा ही समर्थन जनता से मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब शराब पीने के बाद विवाद, झगडा और घरेलू हिंसा करने वाले पति घर जाकर खाना बनाने में पत्नी का हाथ बंटाते हैं। शराबबंदी में महिलाओं की बडी भूमिका है। शराबबंदी के लिए जबर्दस्त अभियान चलाया गया। स्कूली बच्चों ने एक करोड 19 लाख शपथपत्र जमा किये, जिनमें उनके पिता और सगे संबंधियों ने शराब को हाथ नहीं लगाने की शपथ ली थी। नीतीश ने कहा कि बिहार में उन्होंने देशी और विदेशी दोनों ही किस्म की शराब बंद कर दी है। इसके लिए कानून को कडा बनाया गया। पुराने 1915 के आबकारी कानून को संशोधित किया गया। यदि कोई शराब बनाता है, बेचता है या पीता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर शराब रखी तो भी पकडे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले से ना सिर्फ महिलाएं बल्कि बच्चे और युवा भी प्रसन्न हुए। शराब छोडने वालों के लिए हर जिले में पुनर्वास केन्द्र खोले गये। प्रदेश भर में सभी महिलाओं से कह दिया गया है कि यदि वे कहीं भी शराब की भटटी चलती देखें तो बिना संकोच जाकर उसे तोड दें। उन्होंने कहा कि हम एक ओर बिहार में शराब की दुकानें बंद कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानें सीमावर्ती जिलों में धडल्ले से चल रही हैं। इसलिए सीमावर्ती जिलों में कम से कम पांच किलोमीटर की परिधि में कोई शराब दुकान नहीं होनी चाहिए। इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ‘मैंने पत्र भेजा है लेकिन अब तक जवाब नहीं आया। मुख्य सचिव (बिहार) ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।’ सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बातचीत में कहा कि नीतीश जिस तरह उत्तर प्रदेश को लक्ष्य बनाकर यहां बार-बार आ रहे हैं, वह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन प्रदेश की सपा सरकार साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ काम कर रही है। ऐसे में वह समाजवादी सरकार के खिलाफ टिप्पणी करके कहीं ना कहीं साम्प्रदायिकता को ताकत दे रहे हैं। चौधरी ने कहा कि ओवैसी और भागवत जैसे लोगों की जमात में नीतीश भी शामिल हो गये हैं। उन्होंने कहा ‘‘ये जो बिहारी, हैदराबादी, मराठी और गुजराती लोग प्रदेश में बार-बार आ रहे हैं, वे राजनीति की दिशा को भ्रमित करने आ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार प्रदेश में जगह-जगह शराबबंदी का मुद्दा तो उठाते हैं लेकिन विकास पर कोई बात नहीं करते। समाजवाद उनका दिखावा है। वह दिशाभ्रम की स्थिति बना रहे हैं। मालूम हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में वाराणसी में आयोजित जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिये प्रदेश में पार्टी का चुनावी बिगुल फूंका था। आज भी उन्होंने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार से कहा कि वह प्रदेश में पूर्णतया शराबबंदी लागू करे।

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