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लखनऊ: ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शनिवार को कहा कि अदालतों के जरिये मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप किया जा रहा है और वह केन्द्र से अपील करता है कि शरिया कानून का अस्तित्व बनाये रखने के पिछली सरकारों के रुख पर कायम रहा जाए। बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की करीब चार घंटे तक चली बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अदालतों के जरिये पर्सनल लॉ में दखलंदाजी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में हाल में तलाक के एक मामले समेत कई प्रकरण आए हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड की सरकार से अपील है कि शरीयत में किसी तरह का हस्तक्षेप ना हो। पूर्व में जिस तरह से सरकारों शरीयत कानून को लेकर सकारात्मक रुख रहा है, वहीं अब भी कायम रहे। जिलानी ने कहा कि बैठक में दस्तूर-ए-शरीयत को बचाने को लेकर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सूर्य नमस्कार वगैरह का चलन बनाने की कोशिशें हो रही हैं, जिसे मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। बोर्ड इसके लिये बेदारी मुहिम चला रहा है जिसे और भी पैना किया जाएगा। बोर्ड की सदस्य असमां जहरा ने इस मौके पर कहा कि बोर्ड मुस्लिम समाज में महिलाओं के अधिकारों के सिलसिले में जागरूकता का काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि महिलाएं तलाक या दहेज उत्पीड़न के मामलों को अदालतों में ले जाने के बजाय शरिया अदालत दारुल कजा ले जाएं तो इससे शरीयत में बेजा दलखंदाजी से बचा जा सकेगा। बोर्ड के सचिव शाह फजले रहीम ने इस मौके पर बताया कि बैठक में पिछले साल अमरोहा में हुई बैठक की कार्रवाई की पुष्टि की गई और बोर्ड की विभिन्न समितियों के कामकाज का जायजा भी लिया गया।

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