नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने उत्तर प्रदेश सरकार, इसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य एजेंसियों को गंगा में घरेलू और औद्योगिक कचरा डालने पर सूचना देने में विलंब करने के लिए कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि एक हफ्ते के अंदर सूचना नहीं देने पर उन पर कड़ा जुर्माना लगाया जाएगा। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘पिछली बार हमने इसके लिए एक हफ्ते का वक्त दिया था। हम स्पष्ट करते हैं कि अगर इस हफ्ते आवश्यक स्थिति रिपोर्ट और अनुमानित स्टेटमेंट इस हफ्ते नहीं सौंपा जाता है तो हम उत्तरप्रदेश सरकार सहित प्रत्येक प्रतिवादी पर 50 हजार रूपये जुर्माना करेंगे।’ कार्यवाही के दौरान उत्तरप्रदेश जल निगम के वकील ने पीठ से कहा कि वह अलग..अलग आंकड़े जुटा रहा है और इसके लिए कुछ और समय चाहिए। पीठ ने हलफनामे का संज्ञान लेने के बाद अगली सुनवाई की तारीख पांच अप्रैल तय की।
एनजीटी ने उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से गंगा और काली तथा रामगंगा जैसी इसकी सहायक नदियों में घरेलू और औद्योगिक कचरा छोड़े जाने का कुल परिमाण पूछा था और कुल कचरे के बारे में ‘आम तौर पर स्वीकार्य’ आंकड़ा पेश करने का निर्देश दिया था। यूपीपीसीबी ने पीठ से कहा था कि हरिद्वार से कानपुर के बीच गंगा और इसकी सहायक नदियों के किनारे 31 शहर स्थित हैं। इसने कहा था कि गंगा के किनारे 20 शहर, रामगंगा के किनारे आठ शहर जबकि काली नदी के किनारे तीन शहर स्थित हैं।