ताज़ा खबरें
महाकुंभ में फंसे लोगों को राहत देने की व्यवस्था करे सरकार:अखि‍लेश
राष्ट्रपति ने दिया विकसित भारत का संदेश, कुंभ हादसे पर जताया दुख
महाकुंभ भगदड़ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जनहित याचिका हुई दायर
संसद का बजटसत्र रहेगा हंगामेदार, महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा भी गूंजेगा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 28 सीटों के चुनाव में रविवार को सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए 23 सीटों पर कब्जा कर लिया और आठ सीटों पर पहले ही निर्विरोध विजय प्राप्त कर चुकी इस पार्टी को अब उच्च सदन में भी बहुमत हासिल हो गया। समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की नसीहत, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रणनीति के चलते सपा विधान परिषद चुनाव में कामयाबी के झंडे गाड़ने में सफल रही।साल 2010 में एमएलसी के लिए इन्हीं 36 सीटों पर चुनाव हुए थे, तब बसपा ने अपनी सरकार रहते हुए एकतरफा जीत हासिल करते हुए 34 सीट जीती थी। तब सपा व कांग्रेस को एक-एक सीट मिली थी। भाजपा का न तब खाता खुला था न अब खाता खुला। कांग्रेस पिछली बार एक सीट जीती थी। इस बार भी एक सीट मिली। बसपा इस बार 34 सीटों से दो सीटों पर आ गई। इन चुनाव नतीजों से विपक्षी दलों को करारा झटका लगा है। मुख्य विपक्षी दल बसपा को जहां मात्र दो सीटें मिलीं वहीं, भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी।

स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 सीटों में से सपा के आठ प्रत्याशी गत 18 फरवरी को ही निर्विरोध घोषित किये गये थे। बाकी बची 28 सीटों के लिये गत तीन मार्च को हुए चुनाव के घोषित परिणामों के अनुसार सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र आजमगढ़ में पार्टी प्रत्याशी राकेश यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राजेश सिंह को पराजित किया। वहीं, बदायूं में सपा उम्मीदवार बनवारी सिंह यादव ने भाजपा के जितेन्द्र यादव को हराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में निर्दलीय प्रत्याशी माफिया डॉन बृजेश सिंह ने सपा प्रत्याशी मीना सिंह को पराजित किया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली में पार्टी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। बसपा को जौनपुर और सहारनपुर सीटों पर कामयाबी हासिल हुई। जौनपुर में उसके प्रत्याशी बृजेश सिंह उर्फ प्रिंस और मुजफ्फरनगर-सहारनपुर सीट पर महमूद अली ने चुनाव जीता। इसके साथ ही सत्तारूढ़ सपा को 100 सदस्यीय विधान परिषद में भी बहुमत हासिल हो गया है। इस चुनाव से पहले सदन में सपा के 27 सदस्य थे। सपा के आठ प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध घोषित हुए थे। अब सपा ने चुनाव में 23 सीटें और जीत ली हैं। इस तरह उच्च सदन में उसके सदस्यों की संख्या 58 हो गयी है। कभी विधान परिषद में बहुमत रखने वाली बसपा इस चुनाव में दो सीटें हासिल कर सकी। अब उच्च सदन में उसके सिर्फ 16 सदस्य ही रह गये हैं। भाजपा का एक भी प्रत्याशी विधान परिषद चुनाव में कामयाब नहीं हो सका। उच्च सदन में अब उसके पास सात सदस्य हैं। एमएलसी चुनाव के लिए पार्टी को प्रत्याशी तय करने में खासी मुश्किलें आईं। बस्ती में मंत्री राजकिशोर के भाई का टिकट काट कर सनी यादव को प्रत्याशी बनाया गया। समर्थन बरकरार रखने के लिए उनके भाई को निगम की बागडोर दी गई। मंत्री को पंचायती राज विभाग भी दे दिया गया। टिकट वितरण में असंतोष को शांत करने के लिए तीनांे बड़े नेताओं ने मंत्रियों को उन्हींं के इलाके की जिम्मेदारी दे दी ताकि उनकी प्रतिष्ठा भी चुनाव से जुड़ जाए। इसी का असर रहा कि पार्टी तमाम जगह कड़ी चुनौती के बाद भी जीत गई। पार्टी ने बागियों को मनाने के लिए भी कई जतन किए। जिनको जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान निकाल दिया गया था। उन्हें वापस लेने का अभियान चला। बिजनौर से लेकर सीतापुर तक बागी पार्टी में वापस आ गए। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ब्लाक प्रमुखों, जिला पंचायत अध्यक्षों को साफ कह दिया था कि हर हाल में सभी सीटें जीतनी हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद चुनाव परिणाम को धन बल और बाहुबल की जीत करार दिया है। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सपा ने धनबल और बाहुबल के साथ सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर विधान परिषद चुनाव में जीत दर्ज की है। उनकी कारस्तानी किसी से छिपी नहीं है। बंदूक और पैसे के दम पर वोटरों को पक्ष में मत डालने के लिए मजबूर किया गया। पाठक ने कहा कि भाजपा भाजपा कार्यकर्ता पूरी तैयारी के साथ 2017 के विधान सभा चुनाव में उतरेंगे और सरकार बनाएंगे। जनता सपा सरकार से निजात पाने के लिए छटपटा रही है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख