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लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आज (सोमवार) महा बैठक में कहा कि शिवपाल यादव बड़े नेता हैं। मैं पार्टी में टकराव से दूखी हूं। मुलायम सिंह ने कहा कि लोहिया जी के दिखाए मार्ग पर आगे चलें। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम जेल जाने से भी पीछे नहीं हटे। पार्टी बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया। हम जेल भी गए कोई नहीं जानता। साथ ही उन्होंने पार्टी नेताओं को हिदायत दी की ज्यादा बढ़-चढ़कर बातें नहीं करें। जो उछल रहे हैं, वे एक भी लाठी नहीं झेल सकते। मुलायम सिंह के रुख को देखते हुए अब पार्टी में बिखराव तय नज़र आ रहा है। मुलायम ने आगे कहा कि हमें अपनी कमजोरियां दूर करनी चाहिए। हम कमजोरी दूर करने के बजाय लड़ने लगे. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि युवाओं को मैंने टिकट दिया। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने भावुक होकर कहा कि मैं नई पार्टी क्यों बनाऊंगा? मैं भी किधर जाऊंगा। मैं बर्बाद हो जाऊंगा। नेताजी मेरे लिए गुरु हैं, वह चाहें तो मुझे पार्टी से बाहर निकाल सकते हैं। वह कहते तो मैं इस्तीफा दे देता। वहीं शिवपाल यादव ने समर्थकों को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश ने अलग पार्टी बनाकर दूसरे दल के साथ चुनाव लड़ने की बात कही है। मैं कसम खाकर कहता हूं कि अखिलेश ने यह बात कही थी। क्या मैंने सीएम अखिलेश से कम काम किया है। मेरे विभाग छीने गए मेरा कसूर क्या था। मैंने सीएम और नेताजी के हर आदेश को माना। पार्टी में कुछ लोग सत्ता की मलाई चाट रहे हैं।

हमने पार्टी बनाने के लिए संघर्ष किया। क्या सरकार में मेरा योगदान नहीं है. अब नेताजी नेतृत्व संभालें। दरअसल चाचा भतीजे के बीच यह गांठ 2012 में उस वक्त पड़ी थी। जब सपा अपने राजनीतिक इतिहास में पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई थी और इस कामयाबी का श्रेय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव को दिया जा रहा था। विधायक दल की बैठक से पहले चाचा शिवपाल सिंह यादव ने तर्क दिया कि मुख्यमंत्री का पद मुलायम सिंह यादव को संभालना चाहिए। अपने तर्क को वजन देने के लिए उन्होंने कहा कि नेताजी तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि मायावती इस पद को चार बार संभाल चुकी हैं। उन्होंने अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने का भी रास्ता दिखाया और कहा कि कुछ समय बाद यह सत्ता नेताजी अखिलेश को सौंप दें और खुद को देश की राजनीति में सक्रिय कर लें। उस वक्त पार्टी महासचिव और सांसद रामगोपाल यादव ने शिवपाल के तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि बाद में क्यों अभी अखिलेश क्यों नही। पार्टी चौथी बार सत्ता में आई है और पूर्ण बहुमत से आई है। नेताजी को ही इसका श्रेय जाता है। उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने हमेशा की तरह रामगोपाल यादव के तर्क को तरजीह दी और ताज अखिलेश यादव के सिर पर रख दिया गया।

 

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