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अहमदाबाद: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने गुरुवार को गुजरात पहुंचकर कथित गोरक्षकों के अत्याचार के शिकार दलितों से मुलाकात की। उन्होंने दलितों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को जिम्मेदार ठहराया। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने 11 जुलाई को उना में क्रूर हमले के शिकार चार दलितों से एकजुटता दिखाने सिविल अस्पताल पहुंचीं। अपने समर्थकों की वाहवाही के बीच मायावती गुजरात सरकार और कांग्रेस दोनों पर बरसीं। उन्होंने कहा कि जब तक उन्होंने यह मामला संसद में नहीं उठाया तब तक दोनों इस मुद्दे पर मौन रहीं। उन्होंने कहा कि यदि इन चारों को नई दिल्ली ले जाने की जरूरत पड़ी तो बहुजन समाज पार्टी इनके इलाज का खर्च वहन करेगी। सात दलितों के परिवार को गिर सोमनाथ जिले में एक मरी हुई गाय की खाल उतारने पर मोटा सामाधियाला गांव के पास निगरानी समिति के सदस्यों ने पिटाई की थी। इन सदस्यों ने बाद में इनमें से चार युवकों को उना शहर ले गए थे और उन्हें एक एसयूवी से बांध कर पिटाई की थी और उन्हें खींच कर पुलिस थाने ले गए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था जो पूरे देश में आक्रोश का कारण बना। मायावती कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद पीड़ितों से मिलने आने वाली नेता हैं।

उत्तर प्रदेश की प्रभावशाली दलित नेता ने अहमदाबाद के श्रमिक बहुल सारंगपुर इलाके का दौरा किया और बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके साथ ही पीड़ित परिवार के तीन अन्य सदस्यों से मुलाकात की जो मायावती से मिलने के लिए ही शहर आए थे। बाद में उन्होंने बसपा समर्थकों के एक समूह को संबोधित भी किया। इसके बाद वह सिविल अस्पताल पहुंचीं जहां चारों युवकों का इलाज चल रहा है। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से सहायता के रूप में दो लाख रुपये भी पीड़ितों को दिए। मीडिया से बात करते हुए बसपा नेता ने देश में दलितों पर बढ़ते अत्याचार की घटनाओं के लिए भाजपा और इसके राजनीतिक सलाहकार आरएसएस की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह उना और पहले आना चाहती थीं लेकिन भाजपा ने उनके खिलाफ साजिश रची। बसपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने दया शंकर (अब पार्टी से निष्कासित) के (मेरे खिलाफ) गैर जिम्मेदाराना बयान की वजह से ऐसा किया। उन लोगों ने ध्यान विचलित कर दिया और मुझे व्यस्त रखा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस वजह से भी पहले नहीं आई क्योंकि मैंने महसूस किया कि जिस तरह से भाजपा ने जाति के आधार पर देश को बांटने की कोशिश की है यदि मैं पहले आई होती तो राष्ट्रीय संकट पैदा हो जाता। इसी लिए मैंने स्थिति सामान्य होने का इंतजार किया। ’’

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