नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा से प्रभावित छात्रों को विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में ट्रांसफर करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया हैं। जिससे 284 छात्रों में नई उम्मीद जागी है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन विकल्प दिए हैं। यह आदेश इंफाल के मणिपुर विश्वविद्यालय में छात्रों की दुर्दशा को उजागर करने वाली याचिका पर आया है। याचिका में कहा गया है कि कई छात्र राज्य से भाग गए हैं और उनके लिए वापस लौटना मुश्किल होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जो तीन विकल्प दिए हैं, वो इस प्रकार हैं-
एक, असम विश्वविद्यालय, सिलचर या नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग में दाखिल लें, इच्छुक छात्रों को मणिपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क करने के लिए कहा गया। दो, ऑनलाइन कक्षाएं: केंद्र, राज्य से कहा गया कि जो भी छात्र इस मोड को चुनना चाहते हैं, उन्हें यह व्यवस्था प्रदान की जाए।
तीन जो छात्र उपरोक्त दो उपायों को चुनने के इच्छुक नहीं हैं और उनकी समस्याएं बनी रहती हैं, उन्हें जस्टिस गीता मित्तल समिति के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करनी होगी।
जो राहत, पुनर्वास और भरोसा कायम करने उपायों के कार्यान्वयन की देखरेख कर रही है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली बेंच में एसजी तुषार मेहता ने बताया कि छात्रों से संपर्क करने और उन्हें विश्वविद्यालयों और कॉलेज प्राधिकरण से जोड़ने के लिए राज्यों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। साथ ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी चिन्हित कर लिया गया है. ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था की जा सकती है। सीजेआई ने एसजी से पूछा कि ये सभी छात्र तो विस्थापित हैं। एसजी ने कहा कि हमने व्यवस्था कर दी है। वे ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकते हैं।
सीजेआई ने पूछा कि इन छात्रों ने हिंसा भी देखी है तो क्या हम उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालय में रखने के लिए कोई मानदंड नहीं बना सकते? इसपर एसजी ने कहा उस पर विचार करना होगा। याचिकाकर्ताओ की ओर से कहा गया कि अधिकांश विस्थापित छात्र तो मणिपुर से बाहर हैं। एसजी ने कहा वो ऑनलाइन क्लास कर सकते हैं। इसपर सीजेआई ने कहा लेकिन ये छात्र देशभर में हैं। इसपर एसजी ने कहा य़ह एक अस्थायी व्यवस्था की गई है।