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इंफाल: मण‍िपुर में एक बार फ‍िर से बवाल शुरू हो गया है। राज्‍य के इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिले में 'लॉ एंड ऑर्डर' की स्‍थ‍ित‍ि ठीक नहीं है। इसके मद्देनजर अब दै‍न‍िक कर्फ्यू में सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक दी जा रही ढील को तत्‍काल प्रभाव से वापस ले लि‍या गया है। दरअसल, भीड़ ने बुधवार (1 नवंबर) को मणिपुर पुलिस कार्यालय परिसर का घेराव करने की कोशिश की। भीड़ को त‍ितर बि‍तर करने के ल‍िए पुल‍िस की ओर से हवा में कई राउंड फायरिंग भी की गई।

एसडीपीओ की आदिवासी उग्रवादियों ने की गोली मारकर हत्या 

मीडिया रिपोर्टस के मुताब‍िक, प्रशासन की ओर से जारी आदेशों के तहत सरकार ने कानून और व्यवस्था की स्‍थ‍ित‍ि को बनाए रखने के ल‍िए कर्फ्यू की ढील को समाप्‍त क‍र द‍िया गया है। यह निर्णय एक समूह की ओर से इंफाल पश्चिम जिले स्‍थ‍ित राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के नजदीक फर्स्‍ट मणिपुर राइफल्स कॉम्प्लेक्स को घेरने की कोश‍िशों को करने के बाद ल‍िया गया है।

मण‍िपुर की राजधानी इंफाल में उस समय तनाव पैदा हो गया था जब मंगलवार (31 अक्‍टूबर) सुबह के वक्‍त मोरेह शहर में एक ऑन-ड्यूटी सब-ड‍िव‍िजनल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) की आदिवासी उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

एक दूसरी घटना में उग्रवादियों ने मंगलवार (31 अक्‍टूबर) दोपहर टेंग्नौपाल जिले के सिनम में राज्य बल के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर द‍िया था। इस हमले में 3 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए थे।

जातीय ह‍िंसा में अब तक 180 लोगों की हो चुकी है मौत

बता दें मणिपुर में इस साल मई में जातीय झड़प शुरू हुई थी। इसके बाद से ही राज्‍य हिंसा की चपेट में है। तब से अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्‍य में ह‍िंसा शुरू होने की मुख्‍य वजह मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला रहा।

मैतेई की 53 फीसदी तो नागा और कुकी की आबादी 40 फीसदी

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, मुख्‍य रूप से पहाड़ी ज‍िलों में रहने वाले आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, उनकी आबादी करीब 40 फीसदी है।

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