इंफाल: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के काफिले को आज मणिपुर जातीय हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक चूड़ाचांदपुर के रास्ते में पुलिस ने रोक दिया था। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा कारणों से राहुल गांधी के काफिले को इंफाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में रोक दिया गया। कांग्रेस नेता अब चूड़ाचांदपुर जाने के के लिए हेलीकॉप्टर से रवाना हो चुके हैं। अधिकारियों ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि जिस मार्ग पर राहुल गांधी यात्रा कर रहे थे, उस पर महिला प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ थी। दरअसल, राहुल गांधी पिछले महीने की शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्य में हुई जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए मणिपुर के लोगों से मिलने के लिए राहत शिविरों का दौरा करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन चूड़ाचांदपुर के रास्ते में राहुल गांधी का काफिला रोक दिया गया था।
कांग्रेस की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि प्रधानमंत्री को मणिपुर के घटनाक्रम की कोई चिंता नहीं है। 130 से ज्यादा लोग की मौत हो चुकी है, हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और रिलीफ कैंप में रहने को मजबूर हैं। राहुल गांधी के रास्ते में अवरोध और रोड़ा बनने का काम क्यों कर रही है मणिपुर में बीजेपी की सरकार?
उन्होंने कहा, राहुल गांधी को सड़क से जाने की अनुमति स्थानीय प्रशासन ने दी थी, लेकिन बाद में अचानक रोक दिया गया। राहुल गांधी मणिपुर यात्रा जारी रखेंगे।
हिंसा के बाद 50 हजार से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं
बता दें कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही 300 से अधिक राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे हैं। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।