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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को मणिपुर के उग्रवादी संगठन के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। वह हिंसा छोड़ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हो गया है। त्रिपक्षीय समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और जेलियनग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट (जेडयूएफ) विद्रोही समूह द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस संबंध में जारी एक बयान में गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस समझौते से पूर्वोत्तर को हिंसा मुक्त करने के साथ ही विकास की राह में आगे बढ़ाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने में काफी मदद मिलेगी। जेडयूएफ मणिपुर में लगभग एक दशक से सक्रिय है।

मणिपुर में शांति प्रक्रिया को मिलेगा महत्वपूर्ण बढ़ावा

बयान में कहा गया है कि सशस्त्र समूह के प्रतिनिधि हिंसा छोड़ने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हो गए हैं। समझौते में सशस्त्र संगठन में शामिल लोगों के पुनर्वास का प्रविधान है। यह मणिपुर में शांति प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगा।

सशस्त्र समूह के प्रतिनिधि हिंसा छोड़ने और देश के कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुए। समझौते में सशस्त्र संवर्गों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन का प्रावधान है। नियमों के प्रवर्तन की देखरेख के लिए एक संयुक्त निगरानी समूह का गठन किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि यह मणिपुर में शांति प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगा। बता दें समझौते पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और मणिपुर सरकार और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की उपस्थिति में ZUF के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए।

 

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